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HELPING THE TEENS THIS PANDEMIC

Adolescence is a time of radical change for teens as well as the people around them. A period of physical, emotional, and cognitive growth makes it an exhilarating experience where they are grappling with the issues of self-identity and independence. As they evolve to handle more advanced problems and seek to forge their identities, they start to explore attachments with individuals other than their parents.While the pandemic has been difficult for everyone, its effect on teenagers can be more challenging. All the activities are on hold, and social distancing has become a norm. Staying at home has forced teenagers to cease their exploration and hindered the need for independence. Their developmental needs are different from children and adults and should be cared for differently. Taking out time to engage in the following activities can be helpful for both the teens and their parents in catalyzing growth and enhancing their skills.Committing to reading and writing: Our education system...


दूर रहकर भी जो पास होने का एहसास कराए वही प्यार है !

वर्तमान समय में लोगों के मन में अनेकों उम्मीदें होती हैं। यह उम्मीद करियर को लेकर हो, रिश्तों को लेकर हो या दोस्ती को लेकर हो। हर कोई चाहता है कि उसकी दुनिया उसके अनुरुप हो, जिसमें उसके द्वारा देखे सभी सपने पूरे हो मगर ज़रुरी नहीं है कि हर बार हम जो चाहे वही हमें मिले।हम अगर बात करें एक रिश्ते की तो उस रिश्ते में भी लोग अनेकों उम्मीदें पालते हैं, जिसमें वह चाहते हैं कि सामने वाला इंसान उनके...


भारत नेपाल के किस्से – 2

भुवन को दादाजी से भारत-नेपाल की बातचीत किए हुए कुछ दिन बीत चुके थे। लेकिन अचानक एक दिन भुवन बाहर से भागा-भागा आया और हांफते हुए दादाजी से बोला- “दादू बात तो बहुत बढ़ गई है।”जी हां, भुवन सही था। भारत-नेपाल के बीच दूरियां और तनाव अब बढ़ने लगा था। चीन का सहारा लेकर नेपाल अब आर या पार की बातें करें लगा था।भुवन के दादा को यह सब सुन कर काफी बुरा लगा। “यार भारत- नेपाल तो एक साथ कितने सालों से काम कर...


भारत चीन का सफर: भाग- 2

काव्या उस शाम घर तो आ गई लेकिन अगला पूरा दिन उसने शाम के इंतज़ार में बिता दिया। शाम होते ही वह फिर मन्नू चाचा के घर पहुंच गई। मन्नू चाचा संयोग से अभी घर पर ही थे। काव्या उनके पास जाकर बैठ गई और कल का किया हुआ वादा याद दिलाया। चाचा को खेतों की तरफ जाना था। उन्होंने काव्या से कहा- “आज तुम्हे चलते-चलते सारी बातें सुननी होगी बोलो मंज़ूर है?”काव्या को जल्द से जल्द सब जानना था इसलिए वो झट से तैयार...


Class of 2020

स्कूल के बाद कॉलेज में दाखिला लेते समय हर युवा के कुछ सपने होते हैं। उनकी कुछ उम्मीदें होती हैं। लेकिन कोरोना वायरस के कहर ने उन सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। 15 मार्च से ही देश भर के स्कूल-कॉलेज बंद हैं। 25 मार्च से लॉकडाउन शुरू हुए लॉकडाउन के बाद, आने वाले दिनों में स्कूल-कॉलेजेस कब खुलेंगे? यह बताने की स्थिति में कोई नहीं है। दूसरी तरफ लॉकडाउन की वजह से पूरी अर्थव्यवस्था ठप पड़ गई...


चमन बहार मूवी में छिपी है किशोर मन की कहानी

कुछ दिनों पहले नेटफिलक्स पर युवा निर्देशक अपूर्वधर बड़गैंया की रिलीज हुई फिल्म चमन बहार काफी चर्चा में है। इस फिल्म में किशोर उम्र में हुए एकतरफा प्यार को दर्शाया गया है। जिस कारण हर साल सैकड़ों-हज़ारों युवा अपनी ज़िंदगी और करियर को गंवा देते हैं। किशोर उम्र में हम सभी के साथ आकर्षण और प्यार जैसी चीज़ों ज़रुर हुई होगी।क्लास से कॉलेज तक सारे फ्रेंड्स के बीच क्रश जैसे शब्द बड़े आम होते...


इतिहास क्या है ? और कैसे बनाया गया?

हम सब बचपन से इतिहास की किताबें पढ़ते आए हैं। एग्ज़ाम्स के डर से किताबों में दी गई तारीखों को रट लिया, ढेरों ऐतिहासिक घटनाएं पढ़ ली और एग्ज़ाम होने तक उन्हें जी-जान से याद भी रखा लिया।इस भागदौड़ और कॉंम्पिटिशन ने हमें टाइम ही नहीं दिया कि हम सोच पाए कि आखिर इतिहास है क्या? क्या सिर्फ जो किताबों में है वहीं इतिहास है या उसके आगे-पीछे भी कुछ है? सबसे ज़रूरी सवाल कि आखिर यह लिखा ही क्यों गया है?...


हर युवा को पढ़नी चाहिए यह तीन किताबें

कोरोना वैश्विक माहमारी ने हम सबकी ज़िंदगी में बदलाव कर दिया है। हम सब अपने-अपने घरों में बंद हैं और स्वयं को किसी न किसी हॉबी में लगाए हुए हैं। अभी हम सबकी कोचिंग और कॉलेज की क्लासेस ऑनलाइन चल रही हैं, जिससे हमारा काफी समय बच रहा है। आने-जाने की दिक्कत नहीं है और घर में पूरा समय मिल रहा है। ऐसे में फोन और सोशल मीडिया में समय गंवाने से बेहतर है कि हम सब कुछ किताबों को पढ़े।अब आप सोचेंगे कि...


धनपत राय के मुंशी प्रेमचंद बनने की कहानी

कथा सम्राट, कलम का सिपाही, हिंदी साहित्य के पूरक प्रेमचंद के लिए कितनी ही उपमाओं का प्रयोग किया गया है। पर वो सभी उपमाएं उनके व्यक्तित्व और जीवन के आगे बौनी ही साबित हुई हैं। अपनी सारी ज़िंदगी हिंदी साहित्य को देने वाले प्रेमचंद जितने ही जाने-पहचाने और अपने से लगते हैं। उतने ही अनछुए और अनजाने भी हैं।प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों से जितने हम वाकिफ़ हैं। जितना हम उनके पात्रों और घटनाओं...


क़िस्सा: मुंशी प्रेमचंद का पहला नाटक जो उन्होंने अपने मामा से छुटकारा पाने के लिए लिखा था

भारतीय साहित्य संसार में प्रेमचंद वह नाम है जिसके बिना कहानियों और उपन्यासों का ज़िक्र करना भी बेमानी है। हिन्दी साहित्य पढ़ने वाले हममें से शायद हर किसी ने अपनी शुरुआत प्रेमचंद की किसी कहानी से ही की होगी। इसके पीछे का कारण यही है कि उनकी कहानियां आम जनमानस से सबसे जल्दी और आसानी से जुड़ जाती हैं। हमारे समाज के, हमारे आस पास के हर छोटे-बड़े अवयवों का ज़िक्र प्रेमचंद जिस निपुणता से करते हैं,...


आखिर लड़कियों को ही क्यों करने पड़ते हैं घर के काम

लड़कियों के लिए हमेशा से अपने सपनों को पूरा करना संघर्ष भरा रहा है। हर एक कदम पर अनेकों परेशानियों से लड़कर अपना मुकाम हासिल करना होता है क्योंकि समाज ने लड़कियों पर हमेशा से पाबंदी लगाने का काम किया है।मगर इन सबसे लड़कियां हार मानकर सपने देखना नहीं बंद कर देती हैं। वह अपने हक़ के लिए लड़ती रहती हैं ताकि आने वाली जेनरेशन भी अपने लिए लड़े और अपने सपनों को पूरा करे।हम सब जानते हैं कि लड़कियों...


बाबरी मस्जिद के रूप में भी तुलसी के लिए पूज्य थी रामजन्मभूमि

जीवन भर राम को भजने वाले तुलसीदास अपने जीवनकाल में दो बार अयोध्या गए। हालांकि, दोनों बार उनके अनुभव बहुत अच्छे नहीं रहे। तुलसीदास के जीवन पर आधारित उपन्यास ‘मानस का हंस’ में अमृतलाल नागर ने दोनों घटनाओं का ज़िक्र किया है। उपन्यास के मुताबिक, पहली बार तुलसीदास पंचकर्म संस्कार के लिए अपने गुरु नरहरिदास बाबा के साथ अयोध्या गए थे। इस दौरान अयोध्या में अराजकता की स्थिति थी। हुमायूं को हराकर...


असफलताओं से घबराना नहीं बल्कि हॉबी को सवारना चाहिए

सुहानी को पढ़ने और लिखना पसंद है। वह चाहती है कि लोग उसे एक लेखिका के तौर पर जाने। उसे न ज़्यादा तड़क-भड़क पसंद है और न ही ज़्यादा दिखावा। वह अपने कमरे में रहती है और ज़्यादा से ज़्यादा वक्त अपने किताबों में लगाती है। जिससे उसे नया पढ़ने और लिखने के लिए मिलता रहता है।साथ ही वह अपने काम में भी आगे बढ़ रही है क्योंकि उसने अपने अंदर छिपे टैलेंट को भांप लिया है। साथ ही उसे यह भी समझ आ गया है कि...


भारत चीन का सफर: भाग- 3

घर लौटने के बाद काव्या सीधे दादा जी के कमरे में पहुंची, लेकिन दादा जी कमरे में नहीं थे। काव्या मम्मी के पास पहुंची और जल्दी में दादा जी के बारे में पूछा। मम्मी ने बताया दादा जी पार्क में टहलने गए हैं बस आते ही होंगे।काव्या दौड़ती हुई बाहर गेट की तरफ भागी। तभी दादा जी सामने से आते हुए दिखे। काव्या उनके पास पहुंची और उनसे जल्दी घर की तरफ चलने के लिए कहने लगी।दादा जी ने मुस्कुराते हुए कहा-...


दुनिया का सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री

ऐसा बहुत कम होता है, जैसा आप चाहें वैसा हो जाए या जो आप बनना चाहें वो बन पाएं। ऑस्ट्रिया के चांसलर सेबस्टियन कुर्ज़ की कहानी बिल्कुल ऐसी ही है। ऑस्ट्रिया में ‘प्रधानमंत्री’ को ‘चांसलर ऑफ ऑस्ट्रिया’ कहा जाता है सेबस्टियन कुर्ज़ ऑस्ट्रिया के ही नहीं दुनिया के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री हैं। उम्र से ज्ञान और काबिलियत का कोई लेना-देना नहीं है; इसकी जीती-जागती मिसाल हैं प्रधानमंत्री...


नागालैंड: भारत का सबसे पहला विद्रोह

आज हम बात करेंगे नार्थ-ईस्ट के एक राज्य नागालैंड की। वही नॉर्थ-ईस्ट और वही नागालैंड जो हमारे Wanderlust वाले सपनों में हमेशा शामिल होता है। घुमक्कड़ों की बकेट लिस्ट का तो चहेता होता है। नॉर्थ-ईस्ट के सारे ही राज्य हमारे लिए घूमने-फिरने जाने वाली जगहों में सबसे ऊपर होते हैं। लेकिन उसके अलावा ये हमारी रोजमर्रा की चर्चाओं और चिंताओं से गायब होते हैं। यहां की परेशानियां हमें उतना परेशान भी नहीं...


भारत हर स्वतंत्रता दिवस अंग्रेजों की एक भविष्यवाणी को गलत साबित करता है

साल था 1827 का। भारत में हर तरफ उथल-पुथल मची हुई थी। एक तरफ भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार के नाम पर शोषण की सारी हदें पार कर रही थी। दूसरी तरफ यहां के राजा-रजवाड़े भी आपस में लड़ने में व्यस्त थे। उधर मुगल सल्तनत अस्तांचल की तरफ बढ़ रहा था। मुगलों के डूबते विशाल साम्राज्य की बची-खुची ऊष्मा भी ठंडी पड़ रही थी।मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब ‘भारत गांधी के बाद’ में एक जगह लिखा...


26 जनवरी 1930 को मनाया गया था पहला स्वतंत्रता दिवस

15 अगस्त, 1947। सैकड़ों सालों की दासता से इसी दिन भारत आज़ाद हुआ था आज़ाद हुआ था। अंग्रेज़ शासकों की चलती इस दिन से बन्द हो गयी थी और देश ने एक नया सवेरा देखा था। हिन्दुस्तान के दिल कहे जाने वाले दिल्ली के वायसराय लॉज (अब राष्ट्रपति भवन) में पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त की आधी रात को अपना प्रसिद्ध भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ दिया। अगले दिन लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने दफ्तर का काम निपटाया और दोपहर...


जब पाकिस्तान भी 15 अगस्त को जश्न-ए-आज़ादी मनाता था।

14 अगस्त 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ठीक रात 12 बजे (15 अगस्त) अपना प्रसिद्घ भाषण “ट्रस्ट विद डेस्टिनी” देते हैं। जिसमें वो बतातें हैं कि सभी देशवासी 15 अगस्त की सुबह एक आज़ाद मुल्क में सांस लेंगे। सदियों की चली आ रही गुलामी अब खत्म हो गई है। अब ये मुल्क अंग्रेज़ों का नहीं हमारा है। अब हमें ही इसे बनाना, संवारना और आगे बढ़ाना है। इस भाषण के बाद 15 अगस्त की सुबह लाखों लोग राष्ट्रपति...


एक मोटर मैकेनिक जो गीत लिखकर गुलज़ार हो गए

एक मोटर मैकेनिक कार के रंग मिलाते-मिलाते अपने शब्दों से ज़िंदगी के रंग मिलाने लगा. बंटवारे की त्रासदी झेली, रावी पार का घर-बार सब छोड़ नए बने हिंदुस्तान में आया. घर चलाने के लिए मोटर मैकेनिक बना. पढ़ने का शौक और लेखक बनने की धुन ने उस ज़माने के नामचीन अदीबों, गीतकारों और फिल्मकारों से मिलाया. जिनमें कृष्ण चन्द्र, महेंद्र सिंह बेदी, सरदार जाफ़री, शैलेन्द्र, सलिल चौधरी, बिमल रॉय, ऋषिकेश मुखर्जी...


डाटा चोरी: सामान की चोरी से भी ज़्यादा खतरनाक

महामारी ने भविष्य के लिए सूचना (डेटा) चोरी और दुरुपयोग की संभावनाओं में भी इज़ाफा किया हैचीन से निकला कोविड-19 अब पूरी दुनिया में फैल गया है। इंसान से इंसान के बीच संपर्क इसका तेजी से पूरी दुनिया में संक्रमण का कारण बना है। ऐसे में टीका न मिलने तक कोविड-19 के संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए कॉन्टेक्ट ट्रेस कर उन्हें स्वस्थ लोगों से अलग करना ही एकमात्र उपाय है। इसके लिए चीन समेत दुनिया भर के अधिकतर...


कोमल अवस्था है किशोरावस्था इसलिए इसे करीने से संभालने की ज़रूरत होती है

हम सब बचपन की दहलीज को पार करके जब किशोरावस्था में प्रवेश करते हैं, उस वक़्त हमारे किशोर मन में अनेकों सवाल उमड़ते हैं। हम सब इन सुलझे और कुछ अनसुलझे सवालों के बीच अपने मन की डगर पर दौड़ते रहते हैं।लड़कियों के मन में भी अनेकों सवाल और हिचक होती हैं। हालांकि लड़के भी जब किशोरावस्था की ओर बढ़ते हैं, उनमें भी अनेकों सवाल होते हैं। मगर सामाजिक और पारिवारिक परम्परागत ढांचे के कारण लड़कियों...


नागालैंड: भारत का सबसे पहला विद्रोह (भाग -2 )

पिछले भाग में हमने जाना कि नागालैंड में समस्याओं की शुरूआत कहां से हुई। अब इस भाग में हम जानेंगे कि कैसे नागालैंड के एक अलग राज्य बन जाने के बावजूद, उसके एक अलग देश की मांग जारी रही और इस बीच वहां के आम लोगों की ज़िंदगी पर क्या असर पड़ा?साल 1963 में नागालैंड असम से अलग होकर एक नया राज्य बन गया। उधर, फिजो 1960 में ही भारत छोड़कर लंदन जा बसे थे, लेकिन समस्या अब भी बनी हुई थी। इस समय तक NNC यानी नागा नेशनल...


जेंडर: रंगों से भरी दुनिया

क्या होती है LGBTQ Community?चलिए आज शुरूआत एक सवाल से करते हैं। अगर मैं पूछूं कि जेंडर कितने होते हैं, तो आपका जवाब क्या होगा? नॉर्मली मेल और फीमेल। लेकिन असल में यह जेंडर का बहुत सीमित दायरा है। अब मैं आपसे कहूं कि कोई फॉर्म भरते समय या कहीं अपने बारे में जानकारियों को लिखते समय जेंडर वाले खाने में आपको कितने ऑप्शन दिए जाते हैं। अब आपका जवाब होगा मेल, फीमेल और अदर्स।आप सुन रहे हैं Unboundscript और आज हम...


महिलाओं के लिए नया नहीं है लॉक डाउन

आजकल हम सभी के बीच लॉकडाउन शब्द चर्चित हो गया है। हर कोई इसी विषय में चर्चा करता है कि आखिर कब तक ऐसे रहना पड़ेगा मगर महिलाओं के लिए लॉकडाउन नया नहीं है।लड़कियों और महिलाओं को बचपन से ही तमाम तरह की बंदिशों में रहना पड़ता है। यह बंदिशें तब तक एक महिला के साथ चलती है, जब तक वह अपने हिस्से के लिए आवाज़ नहीं उठाती है। ऐसे भी महिलाओं के लिए आवाज़ उठाना इतना आसान नहीं होता है कि वे हर सामाजिक...


LGBTQ Community: क्यों रेनबो झंडा खास है और प्राइड परेड ज़रूरी

क्या है इंद्रधनुषी झंडे के रंगों का मतलबतो इस इंद्रधनुष के रंग के दिखने वाले झंडे में दरअसल 6 रंग होते हैं। जिसमें लाल, नारंगी, पीला, नीला, हरा और बैंगनी रंग शामिल होता है। लेकिन शुरूआत में इस झंडे में कुल 8 रंग थे और यह सभी रंग जिंदगी के एक किसी न किसी रंग को दर्शाते थे। जैसे-गुलाबी- सेक्शुएलिटीलाल- ज़िंदगीनारंगी- इलाजपीला- सूरज की रोशनीहरा- प्रकृतिफ़िरोज़ी- कलानीला- सौहार्द्रबैंगनी- इंसानी...


दुनिया की हर लड़की के पास एक साहिर और एक इमरोज़ होता है

वो न साहिर था, न इमरोज़ और न ही मैं अमृता। मैं जब उससे पहली बार मिली थी उसके हाथ में अमृता के ख़त की एक क़िताब थी। “लाइब्रेरी कहाँ है?” मैंने बहुत मासूम शब्दों में उससे पूछा। हालाँकि मासूम नहीं थी मैं। स्कूल से निकले हुए सिर्फ़ एक ही महीना हुआ था मुझे। लंबी चोटी, छोटा कद और हर लड़की की तरह सजने का शौक सब था मुझमें। वो लम्बे कद वाला गठीला लड़का था, शायद मुझसे सीनियर। लाइब्रेरी के बाहर उसका पूरा गैंग...


अमृता प्रीतम एक ऐसा किरदार जो हर लड़की को आज़ादी से जीना सिखाता है

किताबें पढ़ने वाले पढ़ने हर वाले इंसान के जीवन में एक लेखक ऐसा होता है जिसे पढ़ने के बाद उसे स्वयं में एक ऊर्जा महसूस होती है। जिसके लिखे को पढ़कर पढ़ने वाला लेखक के साथ भी एक लगाव महसूस करता है। मेरे लिए वह शख्स अमृता प्रीतम हैं।अमृता प्रीतम को शब्दों में पिरोना बिल्कुल ऐसा है, जैसे सूरज को दीया दिखाना। अमृता प्रीतम एक ऐसी शख्सियत है, जिन्हें देश-दुनिया की कई भाषाओं में साहित्य की दुनिया...


इजराइल और फिलिस्तीन: एक ज़मीन दो देश

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पिछले दिनों ऐलान किया है कि वो जॉर्डन वैली से लगे वेस्ट बैंक पर पूरी तरह कब्जा करेंगे। हालांकि उनकी नजरों में यह अपनी ज़मीन है। लेकिन दुनिया के ज़्यादातर देश इसे कब्जा मान रहे हैं।अब सवाल उठता है कि इजराइल क्यों इस ज़मीन पर कब्जा करना चाहता है और अगर वह ख़ुद इसे अपना बता रहा है तो दुनिया इसे कब्जा क्यों कह रही है?इन सारे सवालों के जवाब के लिए हमें...


क्या है नेटफिक्स वाली आंटी के इंडियन मैचमेकिंग और अरेंज्ड मैरिज का कॉन्सेप्ट

क्या है नेटफिक्स वाली आंटी सीमा तपाड़िया के इंडियन मैचमेकिंग और अरेंज्ड मैरिज का कॉन्सेप्टहाल ही में Netflix पर एक सीरीज की खासी चर्चा हो रही है। सीरीज का नाम है- इंडियन मैचमेकिंग। शो की कहानी में एक किरदार हैं जिनका नाम सीमा तपाड़िया है, मुबंई में रहती हैं और एक प्रोफेशनल मैचमेकर हैं जो लोगों का रिश्ता करवाती हैं।दरअसल यह इंडियन मैचमेकिंग सीरीज भारत में प्रचलित अरेंज्ड मैरिज का ही पहली...


सिन्धु घाटी सभ्यता: भारत के इतिहास की शुरूआत

साल था 1826, जगह थी उस समय के पंजाब के साहीबाल जिले का हड़प्पा गांव। उस समय भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन हुआ करता था। ईस्ट इंडिया कंपनी में चार्ल्स मैसन नाम का एक अधिकारी था। उसे नई-नई जगहों को खोजने में और साथ ही इतिहास में बेहद दिलचस्पी थी। इसी खोज में एक दिन उसने पंजाब के गांव हड़प्पा में एक टीला देखा। देखने से उसे वह टीला किसी ऐतिहासिक महत्व नमूना लगा। चार्ल्स ने काफी सारा इतिहास...


सना मरीन ( Sanna Marin )

सना मरीन एक ऐसी प्रधानमंत्री, जो खुद को बचपन में अदृश्य महसूस करती थीं|राजनीति जिसे कभी एक विशेष वर्ग और उम्र तक सीमित माना जाता था, आज वही राजनीति एक नए आयाम रच रही है| Unbound Script भी इसी को ध्यान में रखते हुए अपने पाठकों के लिए एक नई पहल लेकर आया है| इसके तहत आप उन राजनीतिक हस्तियों के बारे में जान पाएंगे, जो बहुत ही कम उम्र में अपने देश के सबसे ऊंचे मकाम पर पहुंचे, यानी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति...


रिया चक्रवर्ती के मीडिया ट्रायल का लोगों के मानसिक स्तर पर प्रभाव

मीडिया में एक दौर ऐसा भी हुआ करता था, जब स्क्रीन पर खबर के फ्लैश होते ही दुनिया में तहलका मच जाता था। यही बात मीडिया के अन्य माध्यमों पर भी लागू हुआ करती थी, मगर वर्तमान समय में मीडिया का जो चेहरा सामने आया है, उसने मीडिया के नज़रिए को ही लोगों के सामने धुंधला कर दिया है।मीडिया हमेशा से ऐसा नहीं था। वह मीडिया ही था, जिसने 1999 में जेसिका लाल मर्डर केस में जेसिका की बहन सबरीना लाल का आखिर तक साथ...


न सिर्फ़ हमारे जीवन बल्कि हमारी मुद्रा का अहम हिस्सा हैं गाँधी

मोहनदास करमचंद गाँधी वह नाम, जो न सिर्फ़ इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज़ हुआ बल्कि अहिंसक जीवन की मिसाल बन गया| गाँधीजी हमारे जैसे ही सामान्य इंसान थे, पर उन्होंने सत्य और अहिंसा का जो मार्ग चुना, उस मार्ग ने उन्हें महात्मा का दर्ज़ा दिलाया| आज भी विश्व में जहाँ कहीं भारत का नाम लिया जाता है, तो लोग इसे ‘गाँधी का देश’ कहकर सम्बोधित करते हैं| अपने पूरे जीवनकाल में गाँधीजी के कई आलोचक...


राष्ट्रपिता और बच्चे

बच्चों को गांधी जी के कपड़ों में सजना जितना अच्छा लगता है, उतना ही उनके बारे में जानना भी अच्छा लगेगा।महात्मा गांधी की जयंती, 2 अक्टूबर को पूरा विश्व ‘अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस’ के रूप में मनाता है। भारत में इसे गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जून 2007 को 2 अक्टूबर का दिन “अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की थी।गांधी जी हमेशा से बच्चों...


वर्ल्ड एनिमल डे पर आइए पशुओं की रक्षा करने का हम सभी एक प्रण लें।

अनेक लोग ऐसे होंगे जो अपने घरों में पालतू जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली आदि को पालते होंगे। वहीं घर के छोटे बच्चे भी पालतू जानवरों के साथ घुल-मिलकर उनके साथ वक्त बिताते होंगे।इसी तरह सड़कों पर रहने वाले आवारा जानवरों की बात करें, तो ऐसे अनेक जानवरों के पास खाने के लिए खाना नहीं होता। हालांकि कई संस्थान ऐसे हैं, जो इन जानवरों के लिए कार्य कर रहे हैं मगर हर आदमी और हर बच्चे को इन जानवरों की तकलीफों...


World Air Force Day पर पढ़िए भारतीय वायुसेना का गौरव बढ़ाने वाली वीरांगनाओं के बारे में।

पहले यह माना जाता था कि महिलाएं कमज़ोर होती हैं इसलिए उन्हें घर में ही रहना चाहिए। उन्हें घर के कामों से दोस्ती रखनी चाहिए क्योंकि वे बाहर के दूसरे काम नहीं कर सकतीं| पुरुषों से उम्मीद की जाती थी कि वे बाहर के काम करें क्योंकि पुरुष मजबूत होते हैं, उनके अंदर महिलाओं से अधिक बल होता है।मगर अब ऐसी किंवदन्तियां टूट रही हैं, और महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। अब ऐसा कोई क्षेत्र नहीं रह गया है, जहां...


युवाओं के बीच बढ़ गई है ओटीटी प्लेटफॉर्म की लोकप्रियता

एक समय ऐसा भी हुआ करता था, जब घर के सारे सदस्य साथ बैठकर रेडियो पर आने वाले प्रोग्राम्स को सुना करते थे। कुछ समय बाद लोगों के बीच टीवी का दौर आया, जहां सभी लोग साथ बैठकर हंसी-ठिठोली करते हुए टीवी देखा करते थे। धीरे-धीरे वक्त बदला और लोगों के रहन-सहन को भी बदलते दौर की हवा ने बदल दिया। आज का समय इतना बदल गया है कि लोगों के पास एक-दूसरे के लिए वक्त की कमी हो गई है। इसके साथ ही फैली वैश्विक महामारी...


एक लेखक और एक प्रोफेसर जो बना 38 साल की उम्र में कोस्टा रिका का राष्ट्रपति।

एक लेखक और एक प्रोफेसर जो बना 38 साल की उम्र में कोस्टा रिका का राष्ट्रपति।एक लेखक और एक प्रोफेसर जिसका काम देश, समाज और वहां रहने वालों को ये सीखना होता है कि जीवन जिया कैसे जाता है? अपने साथ-साथ औरों के बारे में भी सोचना क्यों जरूरी है? शिक्षा और साहित्य किसी भी देश के विकास और तरकि के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है?सरल शब्दों में कहें तो अपने विषय, देश और समाज की स्थिति के बारे में लोगों और...


साहिर लुधियानवी – जिंदगी के हर गम को जीने वाला शख्स

‘मांग के साथ तुम्हारा, मैंने मांग लिया संसार…’‘तुम अगर साथ देने का वादा करो, मैं यूं ही मस्त नगमें लुटाता रहूँ…’इन गानों को सुनने के बाद मन में सादगी के साथ-साथ सुकून की लहर दौड़ जाती है। इनके बोलों में जितनी गहराई है, उसे अगर महसूस किया जाए तो मन में एक शीतल हवा के साथ चांदनी रात का सुकून भी समां जाता है।ये बोल थे साहिर लुधयानवी के, जिन्होंने अपनी कलम से न जाने कितने गीत लिखे और लोगों को...


सिस्टम में रह कर सिस्टम से लड़ने वाले थे श्रीलाल शुक्ल 

साहित्य में अनेक विद्याएं हैं और हर विद्या स्वयं में एक-दूसरे से अलग है। साथ ही हर विद्या की अपनी खासियत है। आज का युग डिजिटल युग है और आज के समय में फेसबुक, व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया पर जितनी रचनाएं तैरती हुए दिखती है, उन अधिकांश रचनाओं में साहित्य की धज्जियां उड़ती हुए दिखती है। आज प्रेम से लेकर आलोचनात्मक विद्या का स्तर गिर गया है। हालांकि आज भी अनेक किताब और अनेक लेखक ऐसे हैं, जिन्हें...


जैसिंडा अर्डर्न महज़ 37 साल की उम्र में न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री बनने वाली पहली महिला।

“उम्र से ज्यादा काम बोलता है” इसकी जीती–जागती मिसाल हैं न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न।किसी भी देश की सफलता और विकास दो चीजों पर निर्भर करता है। पहला, वहां की जनता अपने प्रतिनिधि पर कितना भरोसा करती है। और दूसरा वह प्रतिनिधि जनता के भरोसे पर कितना खरा उतरता है।आज दुनिया भर में जहां लोकतंत्र के ऊपर मंडरा रहे खतरे की बात हो रही है, राजनेताओं में उतपन्न हो रही तानाशाही की...


महापर्व छठ

हर जगह की अपनी एक विशेष बात होती है, जिसमें मिट्टी की मिठास समाहित होती है। बिहार की अनेकों बातें हैं, जो प्रचलित हैं मगर छठ एक ऐसा त्यौहार है, जिससे बिहारियों का जुड़ाव देखते ही बनता है। छठ को बिहार में महापर्व की संज्ञा से नवाजा गया है क्योंकि यह त्यौहार न केवल लोगों की दूरियों को कम करता है, बल्कि प्रकृति से लोगों के जुड़ाव को भी परिभाषित करता है। छठ लोगों की आस्था से इस कद्र जुड़ा हुआ...


ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट

उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने की घटना के बीच एक नाम बार–बार उभरकर सामने आ रहा है–ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट| आइये जानते हैं क्या है यह प्रोजेक्ट–ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट बिजली उत्पादन के लिए चलाया गया एक प्राइवेट प्रोजेक्ट है|यह प्रोजेक्ट उत्तराखंड के चमोली जिले में NTPC लिमिटेड द्वारा चलाया जा रहा है|इस प्रोजेक्ट के द्वारा नदी के पानी से बिजली पैदा की जानी है|यह प्रोजेक्ट ऋषि गंगा नदी पर...


हिंदी फिल्में जो सभी को देखनी चाहिए

वे 6 हिंदी फिल्में जो सभी को देखनी चाहिएं: हिंदी फिल्म सिनेमा बेहतरीन फिल्मों से अटा पड़ा है। इन फिल्मों में किशोर वर्ग की फिल्में तो हैं ही, साथ ही सिने जगत के पास बच्चों के लिए भी बेहतरीन फिल्मों खजाना है। ये फिल्में आपका मनोरंजन करने के साथ ही, आपको शिक्षा भी देती हैं| अब जब स्कूल और कॉलेज बंद हैं, तो आपको ये फिल्में ज़रूर देखनी चाहिएं :1. आई एम कलाम यह फिल्म एक गरीब बच्चे के जीवन पर आधारित...


तुम्हारी पीठ पर लिखा मेरा नाम कथा संग्रह- पुस्तक समीक्षा

कुछ किताबों की कवर इमेज और उसका नाम इतने आकर्षक होते हैं कि लोग बस उसकी एक झलक पाकर ही उसे खरीद लेना चाहते हैं। रुमानी एहसासों को समेटे अगर कोई किताब लोगों के बीच आती है, तब लोगों के बीच मन में सबसे पहली इच्छा उसे जानने और पढ़ने की होती है। कुछ ऐसी ही किताब है सुषमा गुप्ता की लिखी किताब “तुम्हारी पीठ पर लिखा मेरा नाम.” यह किताब हिन्द युग्म, नोएडा से प्रकाशित हुई है। साथ ही इस कहानी-संग्रह...


एक तरफा प्यार की ताकत

लोगों को लैला-मजनू, हीर-रांझा जैसी कहानियां बहुत भाती हैं। लोग जब इनकी कहानियां देखते हैं, पढ़ते हैं तब मन ही मन अनेक ख्वाब बुनते हैं। जैसे प्रेम आखिर है क्या? महज़ एक दूसरे को देखकर खुश हो जाना प्रेम है? या फिर एक दूसरे को पाना प्रेम है? फ़िल्म ऐ दिल है मुश्किल का यह डायलॉग आपको याद ही होगा, जिसमें एक तरफा प्यार की बात कही गई है। “प्यार अगर एक तरफा हो, तब उसकी बात ही कुछ और होती है, क्योंकि तब...


तुर्की

10 फरवरी को तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने दस वर्ष के अंतरिक्ष कार्यक्रम की घोषणा की जमीन के साथ–साथ अब हर देश अंतरिक्ष तक अपनी पहुँच कायम करने की दिशा में काम कर रहा है। तुर्की ने भी अब इस दिशा में अपने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। 10 फरवरी को तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने दस वर्ष के अंतरिक्ष कार्यक्रम की घोषणा की, जिसमें चंद्र मिशन, तुर्की के अंतरिक्ष यात्रियों को...


आर्थिक सर्वेक्षण क्या है

हाल ही में बजट सत्र से पहले सरकार द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया, क्या है यह सर्वेक्षण आइये इसके बारे में जानते हैं:आर्थिक सर्वेक्षण देश की अर्थव्यवस्था और उसके स्वास्थ्य का संक्षिप्त लेखा-जोखा होता है। पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में पेश किया गया था। हालांकि 1964 तक, इसे बजट के साथ पेश किया जाता था। लेकिन वर्तमान में इसे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है।इस बार के सर्वेक्षण का प्रमुख...


सोशल मीडिया के दौर में प्रेमचंद

वर्तमान में अगर प्रेमचंद और अन्य लेखक होते तो शायद उन्हें भी अपनी ब्रांडिंग करनी पड़ती।आजकल हम सोशल साइट्स से जितने मिलजुल गए हैं, उससे हमें भले ही खबरें पढ़ने के लिए मिल जाती हैं, मनोरंजन भी हो जाता है मगर असलियत यह है कि आज के समय में हर एक इंसान सोशल मीडिया के कारण प्रभावित भी हुआ है। बात अगर साहित्य प्रेमियों की की जाए तो यह पता चलता है कि आंखों के सामने स्क्रिन पर जितनी रचनाएं दिखाई...


सरस्वती पूजा और मां

दरवाज़े पर सरस्वती पूजा का चंदा मांगने वाले लोग चंदे के लिए आवाज़ लगा रहे थे। “दीदी, पूजा के लिए चंदा दे दीजिए।” कमरे में बैठी रूपा इस आवाज़ से तिलमिला उठी, क्योंकि मां को खोए अभी एक साल भी नहीं बीता था, लेकिन ऐसा लगता था जैसे कितनी सदियों का सफर तय हो चुका है। मां को सरस्वती पूजा का प्रसाद बहुत प्रिय था और आखिरी बार वह सरस्वती पूजा पर ही मां के साथ बाहर गई थी। उसके बाद तो वक्त ही पलट गया।...


अरुष और अत्ताफ़

कश्मीर की खूबसूरती, आज भी अपने शबाब पर थी। बर्फीली हवाओं और सफ़ेद चादर में लिपटी पहाड़ियों के बीच, सफ़ेद दुप्पटे में ढकी अरुष, अपनी मोहब्बत अत्ताफ़ का इंतजार कर रही थी। ठंड की लाली अरुष के गालों पर झलक रही थी और आंखें इंतज़ार में बिछीं थी। अरुष और कश्मीर की सुंदरता एक-दूसरे का पर्याय लग रहे थे।कल जो गुलाब अत्ताफ़ ने उसे दिया था, और आज शिकारे पर जाने की बात कही थी। उसे अपने हाथों में लेकर...


आत्मनिर्भरता शब्द

ऑक्सफोर्ड लेंग्वेज द्वारा ‘आत्मनिर्भरता’ को 2020 का हिंदी शब्द घोषित किया गया है।शब्द का चुनाव ऑक्सफोर्ड लेंग्वेज के विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा किया जाता है।इस बार इसमें भाषा विशेषज्ञ , कृतिका अग्रवाल ,पूनम निगम सहाय ,इमोगन फ़ॉक्लेस सलाहकार पैनल में शामिल थे।ऑक्सफोर्ड हिंदी शब्द से तात्पर्य उस शब्द से होता है जो पिछले वर्ष के लोकाचार ,मनोदशा या स्थिति को दिखाए और जो सांस्कृतिक महत्व...


मैं पानी बोल रहा हूं

कल बर्फ़ से जब मैं पिघला तब मालूम नहीं था मुझे कि पहाड़ का रास्ता कहां जाता है। पहाड़ से आगे मैंने सिर्फ़ बादल देखे थे और बादल से भी पहले समंदर। समंदर से होता हुआ मैं आसमान में आ लटका था और आसमान से होता हुआ पहाड़ पर। ले-देकर आप समझ सकते हैं कि मेरी नियति में लटकना ज़्यादा लिखा है। ठहरना कम। फिर मौसम भी बहुत कुछ कह जाता है। कब बहना है, कब जम जाना है और कब कहीं दूर निकल जाना है, इसका हिसाब मैं...


महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बातों को जरूर पढ़ें

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों के बढ़ने के कारण ही हर साल पूरे विश्व में 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है ताकि लोग जागरुक होकर आगे आएं और अपनी समस्या को सामने रखें।शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य का होना भी बेहद जरूरी होता है मगर भारत में मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर लोग बात करने से कतराते हैं। जिस कारण मानसिक परेशानियों से जूझने...


वैलेंटाइन डे पर देख सकते हैं ये फिल्में

14 फरवरी को वैलेंटाइन डे पर हर एक प्रेमी-जोड़ा उत्साहित होगा। कोई अपने प्यार का इजहार करेगा, किसी का पहला प्यार परवान चढ़ेगा और किसी का प्रेम एक अलग मोड़ पर आ जाएगा। कुल मिलाकर प्रेमी जोड़ों के लिए प्यार का यह दिन बहुत कुछ लेकर आता है। आपके इस प्रोग्राम में मिठास घोलने के लिए हम लेकर आएं हैं आपके लिए यह लेख जिसमें हम आपको बताएंगे कि वैलेंटाइन डे पर आप अपने साथी के साथ कौन-कौन सी रोमांटिक...


हर पर्वत चढ़ाई के साथ छोटा होता जाता है

हम सब अपने जीवन में किसी न किसी ऊँचाई को पाने के संघर्ष में व्यस्त रहते हैं। लेकिन इस दुनिया में जटिल परिस्थितियों और संघर्ष से गुज़रते हुए कुछ लोग कठिन समय में भी ऊंचाईयों को न सिर्फ़ पाते हैं बल्कि अपना भी लेते हैं। हम बात कर रहें पर्वत की ऊँचाई को फ़तह करने वाले एक पर्वतारोही की जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊँचे पर्वत माउंट एवरेस्ट पर 25 वीं बार फ़तह पाई है।माउंट एवरेस्ट को दुनिया की सबसे...


भारतीय रिज़र्व बैंक के नए कार्यकारी निदेशक

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जोस जे कट्टूर को कार्यकारी निदेशक (ED) के रूप में नियुक्त किया है। कार्यकारी निदेशक के रूप में पदोन्नति पाने से पहले वे कर्नाटक के क्षेत्रीय निदेशक के रूप में रिज़र्व बैंक के बेंगलुरू क्षेत्रीय कार्यालय के अध्यक्ष थे।कट्टूर मानव संसाधन प्रबंधन विभाग ,कॉपोरेट रणनीति और बजट विभाग तथा राजभाषा विभाग संभालेंगे।कट्टूर ने तीन दशकों में ,संचार ,मानव संसाधन प्रबंधन...


पुडुचेरी जल जीवन मिशन

पुडुचेरी ने जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 100 % पाइप जल कनेक्शन का लक्ष्य हासिल किया है। इससे पहले गोवा ,तेलंगाना तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने जल जीवन मिशन के तहत प्रत्येक ग्रामीण घर में नल के पानी की आपूर्ति की है। इनके बाद ,जल जीवन मिशन के तहत हर ग्रामीण घर तक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पुडुचेरी चौथा केंद्र शासित प्रदेश है।‘जल जीवन मिशन को 2024 तक हर ग्रामीण...


गैलीलियो की तरह सोचें

सीखने का क्रम जीने के क्रम की तरह ही लगातार चलता रहता है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं वैसे-वैसे कुछ न कुछ नया सीखते हैं। लेकिन वैज्ञानिक कहाँ से सीखते हैं ? कैसे सोचते हैं, जो वे इतनी बड़ी-बड़ी खोज कर पाते हैं। कोई भी विचार अंतिम विचार तब बनता है जब हम उसे सोचकर छोड़ देते हैं या लागू नहीं करते। लेकिन महान लोग ऐसा नहीं करते। आज हम एक ऐसे ही महान व्यक्ति के बारे में बात करेंगे और जानेंगे कि हम...


न्यूटन की तरह कैसे सोचें

हम सबकी सोच कुछ न कुछ अलग ही होती है। तभी दोस्तों से कई बार लड़ते हुए हम उन्हें कह देते हैं कि हम अलग सोचते हैं। इसी तरह हमें याद रखना चाहिए कि हर आदमी अपने में अलग है और यही उसे मूल्यवान बनाता है। लेकिन कुछ लोगों के सोचने का तरीका ऐसा होता है कि वे हमसे और आपसे इतने बड़े और ज़्यादा क़ाबिल सिद्ध होते हैं| आज हम एक ऐसे ही वैज्ञानिक की बात करने वाले हैं जिन्होंने अपनी सोच के दम पर दुनिया को बहुत...


द एक्स फेक्टर

कुछ जटिल पल ऐसे होते हैं जब हम अपनी धारणा बनाकर जीते हैं और समय उन धारणाओं को तोड़ एक नई तरह की सोच हमें थमा देता है। आज की कहानी उसी सोच के बनने और बिगड़ने पर।प्यार में पड़े लड़के-लड़कियों की समस्या वर्तमान प्रेमी नहीं होता। वर्तमान प्रेमी या प्रेमिका तो फिर भी एक बार आदमी झेल जाता है लेकिन असल दिक़्क़त होता है तुम्हारा भूत यानी गुजरा हुआ समय। जो अमीबे की ही तरह तुमसे चिपका हुआ रहता है।...


थॉमस एडिसन की तरह कैसे सोचें

हर आविष्कार हमें तरक़्क़ी की एक अगली सीढ़ी पर ले जाता है। किसी नए आविष्कार को करने के लिए कुछ भी अलग से नहीं सीखना होता, बल्कि हमें जीवन जीने और उसे समझने के कुछ नए ढंग इज़ाद करने होते हैं। बड़े वैज्ञानिक इसी तरह जीते हैं। सोचो अगर बल्ब का आविष्कार नहीं होता तो आपकी ज़िंदगी कैसी होती? बल्ब ने न सिर्फ़ कार्यक्षमता का विकास किया है बल्कि हमारे चौबीस घण्टों को सिर्फ़ बारह घण्टे तक सीमित...


छुट्टियों के दिनों का सदुपयोग

पहले तो जब भी गर्मी की छुट्टियाँ होती थीं, तो हम सब दादी, नानी के घर निकल जाते थे या फिर परिवारवालों के साथ किसी लंबे ट्रिप पर ही। स्कूल की छुट्टियों का होमवर्क इतना नहीं होता था कि दो महीनों में भी ख़त्म न हो। लेकिन अब जब परिस्थितियों ने करवट बदली है और पूरे साल हम कहीं नहीं जा सके हैं तो हम घर पर रहकर क्या-क्या नया कर सकते हैं या सीख सकते हैं आइये जानते हैं:पेंटिंग – पेंटिंग करने में क्या...


‘आत्मविश्वास और एकाग्रता’ है सफलता की कुंजी

विद्यार्थी जीवन, जीवन का वह जटिल समय होता है जब आपको अपने आप को साधना होता है। इस साधना में तमाम तरह की चीज़ें शामिल हैं। मसलन शारीरिक गतिविधियों से लेकर मानसिक उठापटक तक सब इस समय में आपके सामने आ खड़ी होती हैं। कैसे पढ़ना है, मन नहीं लग रहा, कल कर लूंगा, अभी क्या जल्दी है, मुझसे नहीं होगा, असफल हो गया तब क्या होगा ? जैसे हज़ार सवाल न सिर्फ़ हमारे ज़हन का हिस्सा रहते हैं बल्कि हमारे आगे बढ़ने...


ओलंपिक में पहले दिन भारत

23 जुलाई 2021 से टोक्यो ओलंपिक 2020 की आधिकारिक शुरुआत हो चुकी है । इस बार ओलंपिक में करीब 205 देशों के11,238 खिलाड़ी 33 खेलों के 339 इवेंट्स में भाग लेंगे । भारत के 119 एथलीट अलग – अलग खेलों में इस बार भाग लें रहे हैं। ओलंपिक खेलों के लिए भारत की ओर से जाने वाला यह आज तक का सबसे बड़ा दल है । इसमें 64 पुरुष और 52 महिला खिलाड़ी शामिल हैं । भारतीय दल में 228 सदस्य हैं जिनमें अधिकारी ,कोच ,वैकल्पिक खिलाड़ी शामिल हैं...


भारत के लिए ओलंपिक का दूसरा दिन

टोक्यो ओलंपिक का दूसरा दिन भारत के लिए मिला-जुला रहा । जहाँ एक ओर भारत ने पद तालिका में एक पदक के साथ बढ़त दर्ज़ की, वहीं कई खिलाड़ियों को निराशा भी होना पड़ा । भारत की मीराबाई चानू ने भारोत्तोलन (वेटलिफ्टिंग) के महिला, 49 कि.ग्रा. वर्ग में रजत पदक(सिल्वर मेडल) जीतकर इतिहास रच दिया । मीरा चानू दूसरी महिला भारोत्तोलक हैं, जिन्होंने ओलंपिक में भारत के लिए मेडल जीता है । चानू ने ‘क्लीन’ व ‘जर्क’...


ओलंपिक का तीसरा दिन महिला खिलाड़ियों के नाम

भारत के लिए ओलंपिक खेलों का तीसरा दिन भी मिलाजुला रहा। तीसरे दिन भारत को बिना पदक ही संतोष करना पड़ा। भारत के किसी भी खिलाड़ी के हाथ कोई पदक नहीं लगा । लेकिन भारत की शुरुआत बेहतर रही । यह दिन मुख्यतः महिला खिलाड़ियों के नाम रहा । भारत की स्टार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने टोक्यो ओलंपिक के महिला बैडमिंटन स्पर्धा के दूसरे दौर में प्रवेश कर लिया है । सिंधु ने तीसरे दिन पहले दौर के...


ओलंपिक का चौथा दिन

ओलंपिक खेलों का चौथा दिन अधिकतर भारतीय खिलाड़ियों के लिए मायूसी भरा रहा । टेबल टेनिस में अचंता शरत कमल के सिवाय कोई अन्य खिलाड़ी उम्मीद नहीं बंधा सका । हालाँकि दिन की शुरुआत बेहतर प्रदर्शन से हुई थी लेकिन दिन ढलते–ढलते कई खिलाड़ियों को अगले दौर में हार का सामना करना पड़ा । टेबल टेनिस में अब सभी की उम्मीदें अचंता शरत कमल पर टिकी हुई हैं । अब उनका सामना पांचवें दिन, यानी मंगलवार को, चीन...


ओलंपिक खेलों में पाँचवें दिन भारतीय दल का प्रदर्शन मिलाजुला ही रहा ।

हॉकी में भारतीय टीम का प्रदर्शन पाँचवें दिन बेहतर रहा । ऑस्ट्रेलिया से पिछले मैच में मिली हार से उबरते हुए भारत ने खेल में शानदार वापसी की और स्पेन को 3-0 से हरा दिया । इसके साथ ही भारत ने अपने अब तक के खेले तीन मुकाबलों में से दो में जीत दर्ज़ कर ली । भारतीय टीम अब 6 अंकों के साथ इस समय पुल ए की प्वाइंट्स टेबल में दूसरे स्थान पर मौजूद है । इस जीत के साथ भारतीय टीम नॉकआउट दौर में भी प्रवेश पा गई...


ओलंपिक का छठा दिन भारतीय महिला खिलाड़ियों के नाम रहा।

छठे दिन के पहले मुकाबले में पीवी सिंधु ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ‘नॉकआउट’ चरण में जगह बना ली है । ‘ग्रुप–जे’ के अपने दूसरे मुकाबले में सिंधु ने हॉङ्गकॉङ्ग की च्युंग एनगान यी को आसानी से 21-9, 21–16 से हराया । अब वह प्री–क्वार्टर फाइनल में ‘ग्रुप–आई’ में शीर्ष पर रहने वाली डेनमार्क की दुनिया की 12वें नंबर की खिलाड़ी ब्लीच फेल्ट से भिड़ेंगी ।जहाँ एक ओर पीवी सिंधु प्री-क्वार्टर फाइनल में पहुँच...


भारत के लिए ओलंपिक का सातवाँ दिन

ओलंपिक खेलों का सातवाँ दिन भारत के लिए बेहतर रहा । भारतीय दल को तीरंजादज़ी, हॉकी, बैडमिंटन और बॉक्सिंग में जीत मिली । अतनु दास, पीवी सिंधु, सतीश कुमार और मनु भास्कर ने बेहतर प्रदर्शन किया ।टोक्यो ओलंपिक में पीवी सिंधु ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए महिला एकल बैडमिंटन स्पर्धा के प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबले में डेनमार्क की मिया ब्लीच फेल्ट को सीधे खेल में हराकर अंतिम आठ में जगह बना लिया...


टोक्यो ओलंपिक खेलों का आठवाँ दिन

मुक्केबाज़ लवलीना बोरगोहेन ने भारत के खाते में एक और मेडल पक्का कर दिया है। उन्होंने 69 किलो वर्ग के क्वार्टर फाइनल में ‘चीनी ताइपे’ की चेन निएन-चिन को 4-1 से मात दे दी। इस जीत के साथ लवलीना सेमीफाइनल में प्रवेश कर गईं और काँस्य पदक के लिए अपनी जीत पक्की कर ली। भारत की महिला हॉकी टीम का प्रदर्शन भी आज बेहतर रहा। टीम को लगातार तीन हारों के बाद पहली जीत मिली। अपने चौथे ग्रुप मैच में टीम ने आयरलैंड...


ओलंपिक में भारत का 9वाँ दिन 

ओलंपिक खेलों का 9वाँ दिन भारतीय खेमे के लिए मिला जुला रहा। हालाँकि जिन खिलाड़ियों पर सबकी नज़रें टिकी हुई थीं वे अपना बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए। पीवी सिंधु गोल्ड की रेस से बाहर हुईं, तो वहीं पूजा रानी क्वाटर्स फ़ाइनल मुकाबला हारकर बाहर हो गईं ।तीरंदाज़ी में भी भारत का सपना टूट गया। लेकिन चक्का फेंक (डिस्कस थ्रो) में कमलप्रीत कौर ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए फ़ाइनल में प्रवेश कर लिया, जिससे...


10वें दिन के ओलंपिक में भारत

टोक्यो ओलंपिक का 10वाँ दिन भारतीय खेमे के लिए ऐतिहासिक रहा; जहाँ एक ओर पीवी सिंधु ने शानदार जीत दर्ज़ की, वहीं भारतीय हॉकी टीम ने भी सेमीफ़ाइनल में प्रवेश कर लिया है। भारतीय हॉकी टीम को चार दशक बाद ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुँचने का मौक़ा मिला है। इसके साथ भारत के खाते में दो पदक हो गए हैं। मुक्केबाज़ी में भी एक पदक पक्का हो चुका है। महिला मुक्काबाज़ लवलीना बोरगोहेन ने सेमीफ़ाइनल में प्रवेश...


11वें दिन के ओलंपिक में भारत

ओलंपिक खेलों का 11वाँ दिन भारतीय खेमे के लिए मिला-जुला रहा। जहाँ एक ओर भारतीय महिला हॉकी टीम ने जीत के साथ सेमीफ़ाइनल में अपनी जगह पक्की की, वहीं दुती चंद और कमलजीत कौर के हाथ निराशा लगी।भारतीय महिला हॉकी टीम ने क्वार्टर फ़ाइनल में आस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर पहली बार ओलंपिक के सेमीफ़ाइनल में पहुँच गई। यह जीत बिल्कुल भी आसान नहीं रही; आस्ट्रेलिया की टीम विश्व में चौथे नंबर की टीम है, ऐसे में...


ओलंपिक खेलों का बाहरवाँ दिन

ओलंपिक खेलों का बाहरवाँ दिन भारतीय खेमे में गहरी निराशा लेकर आया। लगभग किसी भी मैच में कोई खिलाड़ी अपना बेहतरीन प्रर्दशन नहीं दे पाया।भारतीय पुरूष हॉकी टीम सेमीफ़ाइनल में हार गई। विश्व चैंपियन बेल्जियम की टीम ने हमारी टीम 2-5 से हराया। शुरुआत में दोनों टीमों का प्रदर्शन आक्रामक रहा। लेकिन अंतिम 11 मिनट में खेल बदल गया। भारतीय टीम ने 11 मिनट में तीन गोल गँवा दिए, जो काफी मँहगा पड़ा। भारतीय...


ओलंपिक के तेरहरवें दिन भारत

टोक्यो ओलंपिक के तेरहरवें दिन भारत की झोली में एक और पदक आ गया। भारतीय मुक्काबाज़ लवलीना बोरगोहन ने मुक्केबाजी में काँस्य पदक अपने नाम किया। हालाँकि महिला हॉकी टीम अपना पुराना बेहतरीन प्रदर्शन नहीं दोहरा सकी और स्वर्ण पदक की रेस से बाहर हो गई। कुल मिलाकर यह दिन भारतीय खेमे के लिए मिलाजुला रहा।मुक्केबाज़ी में लवलीना बोरगोहन ने 69 किलो वेल्टरवेट कैटगरी के सेमीफ़ाइनल में हार के बावजूद...


ओलंपिक खेलों में 14वें दिन का भारत

टोक्यो ओलंपिक खेलों में चौदहवें दिन भारत की शुरुआत दो पदकों के साथ हुई। भारतीय हॉकी टीम ने शानदार शुरुआत करते हुए 41 साल बाद ओलंपिक खेलों में पदक प्राप्त किया। कुश्ती में भी यह दिन भारत के नाम रहा। भारतीय पहलवान रवि दहिया ने सिल्वर मेडल जीतकर भारत के खाते में एक और पदक जोड़ दिया। भारत की झोली में अब कुल 5 पदक आ गए हैं।भारतीय हॉकी के लिए यह दिन बेहतरीन और ऐतिहासिक रहा। 41 साल बाद भारत की हॉकी...


किताबें भी हमारी शिक्षक होती हैं

हमें अक्सर कुछ नया सीखने के लिए एक बेहतर शिक्षक की तलाश रहती है । फिर सवाल उठता है कि कहाँ और कैसे तलाशा जाए । एक तरह से किताबें भी हमारी बेहतरीन शिक्षक होती हैं । क्या आपका सपना हमेशा लेखक बनना रहा है ? यदि हाँ तो एक बेहतरीन किताब शिक्षक की तरह आपका इंतजार कर रही है— लेखक कैसे बनें ।लेखन की दुनिया एक असमतल व विस्तृत संसार से होकर गुजरती है । ऐसा संसार जिससे गुजरने के कुछ निश्चित रास्ते हो...


किताबें भी हमारी शिक्षक होती हैं

हमें अक्सर कुछ नया सीखने के लिए एक बेहतर शिक्षक की तलाश रहती है । फिर सवाल उठता है कि कहाँ और कैसे तलाशा जाए । एक तरह से किताबें भी हमारी बेहतरीन शिक्षक होती हैं । क्या आपका सपना हमेशा लेखक बनना रहा है ? यदि हाँ तो एक बेहतरीन किताब शिक्षक की तरह आपका इंतजार कर रही है— लेखक कैसे बनें ।लेखन की दुनिया एक असमतल व विस्तृत संसार से होकर गुजरती है । ऐसा संसार जिससे गुजरने के कुछ निश्चित रास्ते हो...