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Home Literature Short Stories Wah Kaun Thi
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Wah Kaun Thi
by Sanjeev
4.2
4.2 out of 5
Creators
AuthorSanjeev
PublisherVani Prakashan
Synopsisहिन्दी कहानी में जब-जब कथ्य के वैविध्य की बात आयेगी, जब-जब भाषा-शिल्प के तराश की बात आयेगी, जब-जब कथारस कृति के वैभव और औदार्य, संवेदना के रस परिपाक की चर्चा चलेगी, वह संजीव की कहानियों के बिना पूरी न हो पायेगी। हिन्दी और गैर-हिन्दी, देशी या विदेशी किसी भी भाषा या भूगोल की श्रेष्ठतम प्रतिमान हैं ये कहानियाँ । वजह है इनका विशाल फलक रेंज और डायमेंशन, इनकी मर्मभेदिनी दृष्टि, काव्यात्मक और सांगीतिक सम्मोहन। तभी तो बंगाल से लेकर राजस्थान और कश्मीर से लेकर केरल तक शोध छात्रों की पहली पसन्द आज भी संजीव ही हैं। वह कौन थी? उनका नवीनतम कथा संग्रह है। संग्रह में संगृहीत मैं भी जिन्दा रहना चाहता हूँ, छिनाल, रामलीला और वह कौन थी? जैसी विस्मयाभिभूत करती कहानियाँ किसी भी भाषा के लिए गौरव की वस्तु हैं। प्रारम्भ से ही हिन्दी के शिखर विद्वानों, सम्पादकों, यथा डॉ. धर्मवीर भारती, कमलेश्वर, शरद जोशी, श्रीलाल शुक्ल, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मन्नू भण्डारी, राजेन्द्र यादव आदि के चहेते रहे संजीव के सम्बन्ध में प्रस्तुत हैं, उनमें से कुछ के उद्गार"तुम लिखने के लिए प्रेरित भी करते हो और हतोत्साहित भी कि लिखो तो ऐसा लिखो, वरना मत लिखो।