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Tumne Kyon Kaha Tha Main Sunder Hoon
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Tumne Kyon Kaha Tha Main Sunder Hoon

by Yashpal
4
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Creators
Author Yashpal
Publisher Lokbharti Prakashan
Synopsis यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है । यह .आधारभूत प्रस्थान बिन्‌द उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ -व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज्यादा तरल रूप में, ज्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर 'आते हैं । उनकी , कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है । प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ कहानीकार के रूप में उनकी. विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और .अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया । उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नार विचारों का द्वन्द्व जितनी, प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों कै लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आती है । वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से खमुक्‍तन्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन- ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है । 'तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ कहानी संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल है : कोकला डकैत, हुकूमत का जुनून, चोरबाजारी के दाम, गवाही, तगमे की चोट, मिट्‌ठों के तआंसू,तीस मिनट, अखबार में नाम, असली चित्र, कम्बलदान, 'आबरू, गमी में खुशी और तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ!

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Binding: HardBack
About the author यशपाल (3 दिसम्बर 1903 - 26 दिसम्बर 1976 का नाम आधुनिक हिन्दी साहित्य के कथाकारों में प्रमुख है। ये एक साथ ही क्रांतिकारी एवं लेखक दोनों रूपों में जाने जाते है। प्रेमचंद के बाद हिन्दी के सुप्रसिद्ध प्रगतिशील कथाकारों में इनका नाम लिया जाता है। अपने विद्यार्थी जीवन से ही यशपाल क्रांतिकारी आन्दोलन से जुड़े, इसके परिणामस्वरुप लम्बी फरारी और जेल में व्यतीत करना पड़ा। इसके बाद इन्होने साहित्य को अपना जीवन बनाया, जो काम कभी इन्होने बंदूक के माध्यम से किया था, अब वही काम इन्होने बुलेटिन के माध्यम से जनजागरण का काम शुरु किया। यशपाल को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1970 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।यशपाल के लेखन की प्रमुख विधा उपन्यास है, लेकिन अपने लेखन की शुरूआत उन्होने कहानियों से ही की। उनकी कहानियाँ अपने समय की राजनीति से उस रूप में आक्रांत नहीं हैं, जैसे उनके उपन्यास। नई कहानी के दौर में स्त्री के देह और मन के कृत्रिम विभाजन के विरुद्ध एक संपूर्ण स्त्री की जिस छवि पर जोर दिया गया, उसकी वास्तविक शुरूआत यशपाल से ही होती है। आज की कहानी के सोच की जो दिशा है, उसमें यशपाल की कितनी ही कहानियाँ बतौर खाद इस्तेमाल हुई है। वर्तमान और आगत कथा-परिदृश्य की संभावनाओं की दृष्टि से उनकी सार्थकता असंदिग्ध है। उनके कहानी-संग्रहों में पिंजरे की उड़ान, ज्ञानदान, भस्मावृत्त चिनगारी, फूलों का कुर्ता, धर्मयुद्ध, तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ और उत्तमी की माँ प्रमुख हैं।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Lokbharti Prakashan
  • Pages: 132
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788180314414
  • Category: Short Stories
  • Related Category: Novella
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