Synopsisअगर आपको मेरी कहानियाँ अश्लील या गन्दी लगती है , तो जिस समाज में आप रह रहे है , वह अश्लील और गन्दा है। मेरी कहानियाँ तो केवल सच दर्शाती है .....अक्सर ऐसा कहते थे मंटो जब उन पर अश्लीलता के इल्ज़ाम लगते। बेबाक सच लिखने वाले मंटो बहुत से ऐसे मुद्दों पर भी लिखते जिन्हें उस समय के समाज में बंद दरवाज़ों के पीछे दबा कर, छुपा कर रखा जाता था। सच सामने लाने के साथ, कहानी कहने की अपनी बेमिसाल अदा और उर्दू जबान पर बेजोड़ पकड़ ने सआदत हसन मंटो को कहानी का बेताज बादशाह बना दिया। मात्र 43 सालों की ज़िन्दगी में उन्होंने 200 से अधिक कहानियाँ, एक उपन्यास, तीन निबन्ध संग्रह और अनेक नाटक ,रेडियो और फिल्म पटकथाएं लिखीं। फ्रेंच और रूसी लेखको से प्रभावित, वामपंथी सोच वाले मंटो के लेखन में सच्चाई को पेश करने की ताकत है जो लम्बे अरसे तक पाठक के दिलो दिमाग पर अपनी पकड़ बनाए रखती है। 2012 मे पूरे हिंदुस्तान में मनाई गयी मंटो की जन्म-शताब्दी इस बात का सबूत है की मंटो आज भी अपने पाठकों और प्रशंसकों के लिए ज़िंदा हैं।
हिन्दी और उर्दू के मशहूर संपादक प्रकाश पंडित के अनुवाद में मंटो की कलम का जादू इस पुस्तक की हर कहानी में बरकरार है।
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Binding: HardBack
About the author
सआदत हसन मंटो (11 मई 1912 – 18 जनवरी 1955) उर्दू लेखक थे, जो अपनी लघु कथाओं, बू, खोल दो, ठंडा गोश्त और चर्चित टोबा टेकसिंह के लिए प्रसिद्ध हुए। कहानीकार होने के साथ-साथ वे फिल्म और रेडिया पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने बाइस लघु कथा संग्रह, एक उपन्यास, रेडियो नाटक के पांच संग्रह, रचनाओं के तीन संग्रह और व्यक्तिगत रेखाचित्र के दो संग्रह प्रकाशित किए।
कहानियों में अश्लीलता के आरोप की वजह से मंटो को छह बार अदालत जाना पड़ा था, जिसमें से तीन बार पाकिस्तान बनने से पहले और बनने के बाद, लेकिन एक भी बार मामला साबित नहीं हो पाया। इनकी कई रचनाओं का दूसरी भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।