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Shikayat Mujhe Bhee Hai
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Shikayat Mujhe Bhee Hai

by Harishankar Parsai
4.4
4.4 out of 5

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Creators
Publisher Rajkamal Prakashan
Synopsis शिकायत मुझे भी है' में हरिशंकर परसाई के लगभग दो दर्जन निबन्ध संगृहीत हैं और इनमें से हर निबन्ध आज की वास्तविकता के किसी न किसी पक्ष पर चुटीला व्यंग्य करता है । परसाई के लेखन की यह विशेषता है कि वे केवल विनोद या परिहास के लिए नहीं लिखते । उनका सारा लेखन सोद्देश्य है और सभी रचनाओं के पीछे एक साफ–सुलझी हुई वैज्ञानिक जीवनदृष्टि है, जो समाज में फैले हुए भ्रष्टाचार, ढोंग, अवसरवादिता, अन्धविश्वास, साम्प्रदायिकता आदि कुप्रवृत्तियों पर तेज रोशनी डालने के लिए हर समय सतर्क रहती है । कहने का ढंग चाहे जितना हल्का–फुल्का हो, किन्तु हर निबन्ध आज की जटिल परिस्थितियों को समझने के लिए एक अन्तर्दृष्टि प्रदान करता है । इसलिए जो आज की सचाई को जानने में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह पुस्तक संग्रहणीय है ।

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Binding: HardBack
About the author हरिशंकर परसाई (22 अगस्त, 1924 - 10 अगस्त, 1995) हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंगकार थे। उनका जन्म जमानी, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे हिंदी के पहले रचनाकार हैं जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और उसे हल्के–फुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों से जोड़ा। उनकी व्यंग्य रचनाएँ हमारे मन में गुदगुदी ही पैदा नहीं करतीं बल्कि हमें उन सामाजिक वास्तविकताओं के आमने–सामने खड़ा करती है, जिनसे किसी भी व्यक्ति का अलग रह पाना लगभग असंभव है। लगातार खोखली होती जा रही हमारी सामाजिक और राजनैतिक व्यवस्था में पिसते मध्यमवर्गीय मन की सच्चाइयों को उन्होंने बहुत ही निकटता से पकड़ा है। सामाजिक पाखंड और रूढ़िवादी जीवन–मूल्यों की खिल्ली उड़ाते हुए उन्होंने सदैव विवेक और विज्ञान–सम्मत दृष्टि को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया है। उनकी भाषा–शैली में खास किस्म का अपनापा है, जिससे पाठक यह महसूस करता है कि लेखक उसके सामने ही बैठा है ।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Pages: 114
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788126703388
  • Category: Satire & Humour
  • Related Category: Humour
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