logo
Home Literature Novel Shigaf
product-img
Shigaf
Enjoying reading this book?

Shigaf

by Manisha kulashreshta
4.1
4.1 out of 5

publisher
Creators
Publisher Rajkamal Prakashan
Synopsis विस्थापन का दर्द महज एक सांस्कृतिक, सामाजिक विरासत से कट जाने का दर्द नहीं है बल्कि अपनी खुली जडें लिए भटकने और कहीं जम न पाने की भीषण विवशता है, जिसे अपने निर्वासन के दौरान सैनसबेस्टियन (स्पेन) में रह रही अमिता, लगातार अपने ब्लॉग में लिखती रही है। डॉन किहोते की ‘रोड टू ला मांचा’ से कश्मीर वादी में लौटने की, अमिता की भटकावों तथा असमंजस भरी इस यात्रा को अद्भुत तरीके से समेटता हुआ यह उपन्यास विस्थापन और आतंकवाद की कोई व्याख्या या समाधान नहीं प्रस्तुत करता वरन् आस्था-अनास्था की बर्बर लड़ाइयों के बीच, कुचले जाने से रह गए कुछ जीवट पलों को जिलाता है और ज़मीन पर गिर पड़े उस दिशा संकेतक बोर्ड को उठाकर फिर-फिर गाड़ता है जिस पर लिखा हैदृभाई मेरे, अमन का एक रास्ता इधर से भी होकर गुज़रता है। शिगाफ़ यानि एक दरार जो कश्मीरियत की रूह में स्थायी तौर पर पड़ गई है, जिसमें से धर्मनिरपेक्षता एक हद तक रिस चुकी है, इस शिगाफ़ को भरने के लिए प्रयासरत है उपन्यास का पत्रकार नायक ज़मान। अमिता और ज़मान जिनका लक्ष्य तो एक है मगर फिर भी दो विपरीत व विषम अतीत से उपजे जीवन मूल्यों को सहेजते हुए वे कई बार प्रक्रिया तथा प्रतिक्रिया से उलझते हुए आपस में टकराते रहते हैं। अमिता के ब्लॉग, यास्मीन की डायरी, मानव बम जुलेखा का मिथकीय कोलाज, अलगाववादी नेता वसीम के एकालाप के जरिये कश्मीर और कश्मीरियत की विदीर्ण व्यथा कथा को अलग कोण, नए शैलीगत प्रयोगों तथा ताज़गी भरी भाषा के साथ अपने उपन्यास ‘शिगाफ़’ में अनूठे ढंग से प्रस्तुत कर रही हैंदृमनीषा कुलश्रेष्ठ।

Enjoying reading this book?
Binding: HardBack
About the author हिन्दी साहित्य जगत की जानी मानी लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ को लेखन के प्रति रुचि अपनी मां से विरासत में मिली. मनीषा का जन्म 26 अगस्त, 1967 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ. विज्ञान से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने स्नातकोत्तर और एमफिल हिन्दी साहित्य से किया। प्रकाशित कृतियाँ: कठपुतलियाँ, कुछ भी तो रूमानी नहीं, केयर ऑफ स्वात घाटी, गन्धर्व-गाथा, बौनी होती परछाईं, रंग रूप रास गंध शिगाफ, शालभंजिका, मल्लिका, किरदार, होना अतिथि कैलाश का कृष्णा सोबती को अपना आदर्श मानने वाली मनीषा जी पिछले १० वर्षों से इंटरनेट की पहली हिंदी वेब पत्रिका हिंदीनेस्ट का सम्पादन कर रही हैं ।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Pages: 256
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788126718528
  • Category: Novel
  • Related Category: Modern & Contemporary
Share this book Twitter Facebook
Related articles
Related articles
Related Videos


Suggested Reads
Suggested Reads
Books from this publisher
Yadon Ka Laal Galiyara : Dantewara by Ramsharan Joshi
Sone Ka Quila by Satyajit Ray
Dola Bibi Ka Mazaar by jabir Husain
Swantantrata Sangram Ka Mahanayak Gaya Munda by Anindita
Lava by Javed Akhtar
Adhunikta Aur Hindi Sahitya by Indranath Madan
Books from this publisher
Related Books
Birju Lay MANISHA KULASHRESHTA
Kuchh Bhi To Rumani Nahi MANISHA KULASHRESHTA
Hona Atithi Kailash Ka Manisha kulashreshta
Rang Roop Ras Gandh (2 Vols.) Manisha kulashreshta
Panchkanya Manisha kulashreshta
Gandharva Gatha Manisha kulashreshta
Related Books
Bookshelves
Stay Connected