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Home Literature Short Stories Shapit Gandharv
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Shapit Gandharv
by Vikal Gautam
4.5
4.5 out of 5
Creators
AuthorVikal Gautam
PublisherRadhakrishna Prakashan
Synopsisविकल गौतम की इन कहानियों में ऊपर से देखने पर दो भिन्न समय संदर्भ नजर आते हैं । एक हमारा अपना जिसमें आस्था का कोई निश्चित केंद्र नहीं बचा है और जिसमें मनुष्य को अपनी बेचैनियों से खुद और सिर्फ खुद जूझना है, खुद ही अपने लिए रास्ते ईजाद करने हैं । दूसरा बुद्धकालीन समय है जहाँ करुणा की निर्मल चाँदनी चहुंओर बिखरी है लेकिन वहाँ भी अपने फैसले के क्षणों में मनुष्य आज की ही तरह निपट अकेला है । इन दोनों समय-संदर्भों के बीच फासला हजारों वर्षों का है लेकिन ये कहानियाँ पढ़ते हुए यह फासला न जाने कहाँ विलुप्त हो जाता है ।
मनुष्य नाम का यह धागा जो इन दोनों समय-संदर्भों को जोड़ता है, यहाँ अपने अंतर्तम में वैसे का वैसा ही है । उसकी बेचैनियाँ अपने स्वरूप में बहुत बदल गई हैं पर अपनी अंतर्वस्तु में वे वही हैं, जो थीं और कौन जाने आगे भी वही रहें ।
इतने भिन्न समय-संदर्भो को कथा शैली में कोई बड़ा बदलाव लाए बगैर साधने का यह जो विकल गौतम का कौशल है, वह हिंदी कहानी में कुछ अलग-सी चीज है । सीधी, सरल और आमफहम अनुभूतियों को लेकर रची ये कहानियाँ पाठक को एक नए धरातल पर आत्म-साक्षात्कार के लिए तैयार करती हैं । उसकी बेचैनियों के अर्थ बदल जाते हैं और वे एक बहुत बड़े देशकाल में अनुनादित होने लगती हैं ।