Synopsisभारत और पाकिस्तान के संबंधों में भावनाओं, विचारों और सन्देहों का एक बड़ा सा जंजाल आज“ादी के समय से फैला हुआ है, जो समय–समय पर टकराव की स्थिति पैदा कर देता है । इस पुस्तक में इस जंजाल की छानबीन गहरे धीरज और इस आशा के साथ की गई है कि दोनों देश अपनी–अपनी राष्ट्रीय अस्मिताओं को बनाये रखते हुए शांति के एक नये दक्षिण एशियाई संदर्भ की रचना कर सकते हैं ।
महात्मा गाँधी की हत्या से लेकर कश्मीर–समस्या और विश्व स्तर पर उभरे अस्मिताओं के संघर्ष तक अनेक विषयों की पड़ताल करते हुए लेखक ने कई महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार किया है % राष्ट्रपिता की हत्या क्यों हुई ? विभाजन के इतिहास को अनुभूति के स्तर पर आज किस तरह देखा जाये ? गाँधी और जिन्ना की विरासतें आज तक हमें किस तरह प्रभावित करती रही हैं ? आदि प्रश्नों की मदद से यह पुस्तक हमें विचारोत्तेजक समाधि की अवस्था में ले जाती है । इसे पढ़ते हुए हम शांति की संभावना को लेकर एक नई तरह का तर्क रचने की प्रेरणा पाते हैं जिसका आधार बीते हुए कल की रूमानी यादों में न हो ।
दक्षिण एशिया में सामूहिक शांति के पक्ष में सहमति बनाने के सिलसिले में यह पुस्तक बच्चों और युवाओं की शिक्षा के अलावा मीडिया की भूमिका पर भी रोशनी डालती है ।
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Binding: HardBack
About the author
Krishna Kumar, a post-graduate in Sociology, works with the Lok Sabha Secretariat, New Delhi, and is a keen observer of the dynamics of politics and society. His first novel, Democracy 2.0, was published in 2014.
His interest in politics and society keeps him occupied with writing articles for magazines and news portals. He pours his heart out at http://krishnakumarblog.com. As a sweet entr’acte between his writings, he loves to drive and explore the countryside with his wife and two kids.