Synopsisशादी का जोकर वरिष्ठ कथाकार अब्दुल बिस्मिल्लाह का नया कहानी-संग्रह है ! इस संग्रह में सत्रह कहानियाँ हैं ! अब्दुल बिस्मिल्लाह ने अपनी रचनाशीलता का प्रस्थान व्यापक सामाजिक सरोकारों से निर्मित किया था ! उपन्यासों और कहानियों की सार्थक व् यशस्वी रचना-यात्रा करने के बाद उनमे नई तरह की सादगी जगमगाने लगी है !
प्रस्तुत संग्रह की कहानियाँ सक्रीय शब्दों में व्यक्त हुई हैं ! लेखक ने आम जिंदगी से झांकती परेशानी, पशेमानी और कशमकश से इन कहानियों के सूत्र सहेजे हैं ! पहली ही कहानी 'खून' रिश्तों की हिफाजत करनेवाले शख्स और बेमुरव्वत दुनिया की दास्तान है ! 'त्राहिमाम', 'कैलेण्डर', 'महामारी', 'तीसरी औरत' सरीखी रचनाए रेखांकित करती हैं कि पठनीयता और सार्थकता की सहभागिता से स्मरणीय का जन्म होता है !
यह उल्लेखनीय है कि एक नैतिक निष्कपट किस्सागोई अब्दुल बिस्मिल्लाह की पहचान है ! सामाजिक अविश्वास और उत्पीडन के प्रसंग को 'शादी का जोकर' में अदभुत अभिव्यक्ति मिली है ! बारिश होने पर गाँव की बरात में आए दिल्ली के कला रसिकों का भागना और कला की दशा का बखान 'तूफानी पहलवान' के इन शब्दों में है-'अब सिर्फ बच गई अमराई में दोनों चारपाइयाँ, जो भीगती रहीं उस धारासार वर्षा में और आम के ताने से चिपटे खड़े रहे तूफानी पहलवान हाथ जोड़े ! भीगती रही कांधे से लटकी उनकी ढोलक और उसकी डोरियों से टपकता रहा बूँद-बूँद पानी टप्प-टप्प...!'
जाहिर है कि 'शादी का जोकर' एक उल्लेखनीय कहानी-संग्रह है ! कथा-रस के साथ समकालीन सभ्यता में व्याप्त असमंजस की अभिव्यक्ति इसकी विशेषता है !
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Binding: HardBack
About the author
अब्दुल बिस्मिल्लाह
जन्म : 5 जुलाई, 1949 को इलाहाबाद जिले के बलापुर गाँव में।
शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. तथा डी.फिल्.।
1993-95 के दौरान वार्सा यूनिवर्सिटी, वार्सा (पोलैंड) में तथा 2003-05 के दौरान भारतीय दूतावास, मॉस्को (रूस) के जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केन्द्र में विजि़टिंग प्रोफ़ेसर रहे।
1988 में सोवियत संघ की यात्रा। उसी वर्ष ट्यूनीशिया में सम्पन्न अफ्रो-एशियाई लेखक सम्मेलन में शिरकत। पोलैंड में रहते हुए हंगरी, जर्मनी, प्राग और पेरिस की यात्राएँ। 2002 में म्यूनि$ख (जर्मनी) में आयोजित 'इंटरनेशनल बुक वीक' कार्यक्रम में हिस्सेदारी। 2012 में जोहांसबर्ग में आयोजित विश्व-हिन्दी सम्मेलन में शिरकत।
कृतियाँ : अपवित्र आख्यान, झीनी झीनी बीनी चदरिया, मुखड़ा क्या देखे, समर शेष है, ज़हरबाद, दंतकथा, रावी लिखता है (उपन्यास), अतिथि देवो भव, रैन बसेरा, रफ़ रफ़ मेल, शादी का जोकर (कहानी-संग्रह), वली मुहम्मद और करीमन बी की कविताएँ, छोटे बुतों का बयान (कविता-संग्रह), दो पैसे की जन्नत (नाटक), अल्पविराम, कजरी, विमर्श के आयाम (आलोचना), दस्तंबू (अनुवाद) आदि।
झीनी झीनी बीनी चदरिया के उर्दू तथा अंग्रेज़ी अनुवाद प्रकाशित। अनेक कहानियाँ मराठी, पंजाबी, मलयालम, तेलगू, बांग्ला, उर्दू, जापानी, स्पैनिश, रूसी तथा अंग्रेज़ी में अनूदित।
रावी लिखता है उपन्यास पंजाबी में पुस्तकाकार प्रकाशित।
रफ़ रफ़ मेल की 12 कहानियाँ रफ़ रफ़ एक्सप्रेस शीर्षक से फ्रेंच में अनूदित एवं पेरिस से प्रकाशित।
सम्मान : सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, दिल्ली हिन्दी अकादमी, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान और म.प्र. साहित्य परिषद के देव पुरस्कार से सम्मानित।
सम्प्रति : केन्द्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली के हिन्दी विभाग में प्रोफ़ेसर।