Synopsis‘‘अली अमजद से मिलाया था न मैंने तुमको ?’’
‘‘वह राइटर ?’’
‘‘हाँ !’’
‘‘हाँ-हाँ यार, याद आ गया। बड़ा मज़ेदार आदमी है।’’
‘‘उसी का तो चक्कर है।’’ हरीश ने कहा, ‘‘आज ही प्रीमियर है। और वह मर गया। समझ में नहीं आता क्या करूँ ?’’
‘‘मर कैसे गया ?’’
‘‘पता नहीं। में अभी वहीं जा रहा हूँ।’’
आईने में उसने अपने चेहरे को उदास बनाकर देखा। उसे अपना उदास चेहरा अच्छा नहीं लगा। उसने आँखों को और उदास कर लिया...
अली अजमद मरा नहीं, कत्ल किया गया है। और उसे कत्ल किया है इस जालिम समाज, बेमुरव्वत हालात और इस बेदर्द फिल्म इंडस्ट्री ने...
उसने गरदन झटक दी। बयान का यह स्टाइल उसे अच्छा नहीं लगा।
मेरा दोस्त अली अमजद एक आदमी की तरह जिया और किसी हिन्दी फिल्म की तरह बिला वज़ह खत्म हो गया।...
दाढ़ी बनाते-बनाते उसने अपना बयान तैयार कर लिया। और इसलिए जब वह अली अमजद के फ्लैट में दाखिल हुआ तो वह बिल्कुल परेशान नहीं था।
हिन्दी फिल्म उद्योग की चमचमाती दुनिया की कुछ स्याह और उदास छवियों को बेपर्दा करता उपन्यास।
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Binding: HardBack
About the author
जन्म : 1 सितम्बर, 1925। जन्मस्थान : गाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)। प्रारम्भिक शिक्षा वहीं, परवर्ती अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में। अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से ही 'उर्दू साहित्य के भारतीय व्यक्तित्व’ पर पी-एच.डी.। अध्ययन समाप्त करने के बाद अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में अध्यापन-कार्य से जीविकोपार्जन की शुरुआत। कई वर्षों तक उर्दू-साहित्य पढ़ाते रहे। बाद में फिल्म-लेखन के लिए बम्बई गए। जीने की जी-तोड़ कोशिशें और आंशिक सफलता। फिल्मों में लिखने के साथ-साथ हिन्दी-उर्दू में समान रूप से सृजनात्मक लेखन। फिल्म-लेखन को बहुत से लेखकों की तरह 'घटिया काम’ नहीं, बल्कि 'सेमी क्रिएटिव’ काम मानते थे। बी.आर. चोपड़ा के निर्देशन में बने महत्त्वपूर्ण दूरदर्शन धारावाहिक 'महाभारत’ के पटकथा और संवाद-लेखक के रूप में प्रशंसित। एक ऐसे कवि-कथाकार, जिनके लिए भारतीयता आदमीयत का पर्याय रही। प्रकाशित पुस्तकें : आधा गाँव, टोपी शुक्ला, हिम्मत जौनपुरी, ओस की बूँद, दिल एक सादा काग़ज़, कटरा बी आज़ूर्, असन्तोष के दिन, नीम का पेड़, कारोबारे तमन्ना, क़यामत (हिन्दी उपन्यास); मुहब्बत के सिवा (उर्दू उपन्यास); मैं एक फेरीवाला (हिन्दी कविता-संग्रह); नया साल, मौजे-गुल : मौजे सबा, रक्से-मय, अजनबी शहर : अजनबी रास्ते (उर्दू कविता-संग्रह); अट्ठारह सौ सत्तावन (हिन्दी-उर्दू महाकाव्य) तथा छोटे आदमी की बड़ी कहानी (जीवनी)।