Synopsisयह एक सुपरिचित तथ्य है कि कवि पाश की पैदाइश एक आंदोलन के गर्भ से हुई थी । वे न सिपऱ़् एक गहरे अर्थ में राजनीतिक कवि थे, बल्कि सक्रिय राजनीति–कर्मी भी थे । ऐसे कवि के साथ कुछ खतरे होते हैं, जिनसे बचने के लिए यथार्थ चेतना के साथ–साथ एक गहरी कलात्मक चेतना, बल्कि कला का अपना एक आत्म–संघर्ष भी ज़रूरी होता है । पाश की कविताएँ इस बात का साक्ष्य प्रस्तुत करती हैं कि उनके भीतर एक बड़े कलाकार का वह बुनियादी आत्म–संघर्ष निरंतर सक्रिय था, जो अपनी संवेदना की बनावट, वैचारिक प्रतिबद्धताएँ और इन दोनों के बीच के अंत:संबंध को निरंतर जाँचता–परखता चलता है ।
प्रस्तुत संग्रह की कविताएँ, अनेक स्रोतों से एकत्र की गई हैं–यहाँ तक कि कवि की डायरी और घर–परिवार से प्राप्त जानकारी को भी चयन का आधार बनाया गया है । पुस्तकों से ली गई कविताओं पर तो कवि की मुहर लगी है, पर डायरी से प्राप्त रचनाओं या काव्यांशों को देकर पाश के उस पक्ष को भी सामने लाया गया है, जहाँ एक सतत विकासमान कवि के सृजनरत मन का एक प्रामाणिक प्रतिबिंब सामने उभरता है ।
पाश की कविता उदाहरण होने से बचकर नहीं चलती । वे उन थोड़े–से कवियों में हैं, जिनकी असंख्य पंक्तियाँ पाठकों की ज़बान पर आसानी से बस जाती हैं । नीचे की पंक्तियाँ मुझे ऐसी ही लगीं और शायद उनके असंख्य पाठकों को भी लगेंगी–चिन्ताओं की परछाइयाँ/उम्र के वृक्ष से लम्बी हो गर्इं/ मुझे तो लोहे की घटनाओं ने/रेशम की तरह ओढ़ लिया ।
–केदारनाथ सिंह
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Binding: HardBack
About the author
अवतार सिंह संधू (9 सितम्बर 1950 - 23 मार्च 1988), जिन्हें सब पाश के नाम से जानते हैं पंजाबी कवि और क्रांतिकारी थे।
अवतार सिंह पाश उन चंद इंकलाबी शायरो में से है, जिन्होंने अपनी छोटी सी जिन्दगी में बहुत कम लिखी क्रान्तिकारी शायरी द्वारा पंजाब में ही नहीं सम्पूर्ण भारत में एक नई अलख जगाई। जो स्थान क्रान्तिकारियों में भगत सिंह का है वही स्थान कलमकारो में पाश का है। इन्होंने गरीब मजदूर किसान के अधिकारो के लिये लेखनी चलाई, इनका मानना था बिना लड़े कुछ नहीं मिलता उन्होंने "हम लड़ेंगे साथी" तथा "सबसे खतरनाक होता है अपने सपनों का मर जाना" जैसे लोकप्रिय गीत लिखे। आज भी क्रान्ति की धार उनके शब्दों द्वारा तेज की जाती है।