Synopsisमनुष्य समर्थ है और समझता है कि इस सामर्थ्य का स्रोत वही है और वही इसका उपार्जन करता है ! वह केवल अपने सामर्थ्य को ही देखता है, अपनी सीमाओं को नहीं !
सामर्थ्य और सीमा अपने सामर्थ्य की अनुभूति से पूर्ण कुछ ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों की कहानी है जिन्हें परिस्थितियां एक स्थान पर एकत्रित कर देती हैं ! हर व्यक्ति अपनी महत्ता, अपनी शक्ति और सामर्थ्य से सुपरिचित था-हरेक को अपने पर अटूट अविश्वास था ! लेकिन परोक्ष की शक्तियों को कौन जानता था जो इनके इस दर्प को चकनाचूर करने को तैयार हो रही थी !
भगवतीचरण वर्मा के उपन्यासों की विशेषता वृहत सामाजिक-राजनितिक परिप्रेक्ष्य में व्यक्ति के मनोभावों का बारीक अंकल रही है-यह उपन्यास स्वन्त्रयोत्तर पात्रों के जीवन का चित्रण करता है !
सामर्थ्य और सीमा महान संघर्ष से युक्त जीवन का सशक्त और रोचक चित्रण है !
Enjoying reading this book?
Binding: HardBack
About the author
भगवती चरण वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के शफीपुर गाँव में हुआ था। वर्माजी ने इलाहाबाद से बी॰ए॰, एल॰एल॰बी॰ की डिग्री प्राप्त की और प्रारम्भ में कविता लेखन किया। फिर उपन्यासकार के नाते विख्यात हुए। 1933 के करीब प्रतापगढ़ के राजा साहब भदरी के साथ रहे। 1936 के लगभग फिल्म कारपोरेशन, कलकत्ता में कार्य किया। कुछ दिनों ‘विचार’ नामक साप्ताहिक का प्रकाशन-संपादन, इसके बाद बंबई में फिल्म-कथालेखन तथा दैनिक ‘नवजीवन’ का सम्पादन, फिर आकाशवाणी के कई केंन्दों में कार्य। बाद में, 1957 से मृत्यु-पर्यंत स्वतंत्न साहित्यकार के रूप में लेखन। ‘चित्रलेखा’ उपन्यास पर दो बार फिल्म-निर्माण और ‘भूले-बिसरे चित्र’ साहित्य अकादमी से सम्मानित। पद्मभूषण तथा राज्यसभा की मानद सदस्यता प्राप्त।