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Home Nonfiction Biographies & Memoirs Sahitya Ka Paristhitik Darshan
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Sahitya Ka Paristhitik Darshan
by K.Vanja
4.5
4.5 out of 5
Creators
AuthorK.Vanja
PublisherVani Prakashan
Synopsisपिछले कुछ दशकों में दक्षिणात्य हिन्दी विद्वानों ने हिन्दी लोकवृत में एक नया स्पन्दन पैदा किया है। राग-द्वेष के गणित से दूर, सिर्फ पुस्तकों के आधार पर समकालीन हिन्दी रचनाकारों का मूल्यांकन वस्तुनिष्ठता का मानक है। डॉ. के. वनजा की यह पुस्तक उससे आगे की कड़ी है। अपने समय के एक प्रश्न (पर्यावरण-संकट) के आलोक में हिन्दी और मलयालम के कुछ प्रमुख लेखकों की कृतियों का प्रकृति-पक्ष रेखांकित करती हुई यह पारिस्थितिक दर्शन के चारों आयामों की सजग समीक्षा करती है। पूरी पुस्तक हरे प्रकाश से नहायी हुई है। पारिस्थितिक शास्त्र पर एक प्रामाणिक पुस्तक लिखकर वनजा ने वनदेवियों वाला तेज दिखाया है।