Synopsisमंटो जैसी स्वाभाविक कथा-प्रतिमा किसी भाषा के साहित्य में बार-बार पैदा नहीं होती। उनकी कहानियों ने अपने समय में जिन बहसों, विवादों और चुनौतियों को पैदा किया, वे आज भी उतनी ही प्रासंगिक और चुनौतीपूर्ण है। 1947 के दंगों ने उनके संवेदनशील मन पर बहुत गहरा असर डाला और उन्होंने ऐसी मार्मिक, मानवीय और तीखी कहानियाँ लिखीं, जो अविस्मरणीय है। सआदत हसन मंटो उर्दू-हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण कथाकार माने जाते हैं। उनकी लिखी हुई उर्दू-हिन्दी की कहानियाँ आज एक दस्तावेज बन गयी हैं।
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Binding: PaperBack
About the author
सआदत हसन मंटो (11 मई 1912 – 18 जनवरी 1955) उर्दू लेखक थे, जो अपनी लघु कथाओं, बू, खोल दो, ठंडा गोश्त और चर्चित टोबा टेकसिंह के लिए प्रसिद्ध हुए। कहानीकार होने के साथ-साथ वे फिल्म और रेडिया पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने बाइस लघु कथा संग्रह, एक उपन्यास, रेडियो नाटक के पांच संग्रह, रचनाओं के तीन संग्रह और व्यक्तिगत रेखाचित्र के दो संग्रह प्रकाशित किए।
कहानियों में अश्लीलता के आरोप की वजह से मंटो को छह बार अदालत जाना पड़ा था, जिसमें से तीन बार पाकिस्तान बनने से पहले और बनने के बाद, लेकिन एक भी बार मामला साबित नहीं हो पाया। इनकी कई रचनाओं का दूसरी भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।