logo
Home Anthology Anthology Renu Rachanawali : Vols. 1-5
product-img
Renu Rachanawali : Vols. 1-5
Enjoying reading this book?

Renu Rachanawali : Vols. 1-5

by Phanishwarnath Renu
4.9
4.9 out of 5

publisher
Creators
Publisher Rajkamal Prakashan
Synopsis रेणु के ‘मैला आँचल’ का प्रकाशन अगस्त, 1954 में हुआ और इसके ठीक दस वर्ष पूर्व उनकी पहली कहानी ‘बट बाबा’ 27 अगस्त, 1944 के साप्ताहिक ‘विश्वमित्र’ में प्रकाशित हुई । 1944 ई– से 1972 ई– तक उन्होंने लगातार कहानियाँ लिखींµप्रारम्भिक कहानियोंµ‘बट बाबा’, ‘पहलवान की ढोलक’, ‘पार्टी का भूत’ से लेकर अन्तिम कहानी ‘भित्तिचित्र की मयूरी’ तक एक ही कथा–शिल्पी रेणु का दर्शन होता है जो अपने कथा–विन्यास में एक–एक शब्द, छोटे–से–छोटे पात्र, परिवेश की मामूली बारीकियों, रंगों, गं/ाों एवं ध्वनियों पर एक समान नजर रखता हैय किसी की उपेक्षा नहीं करता । नई कहानी के दौर में रेणु ने अपनी कहानियों द्वारा एक नई छाप छोड़ी । उनकी ‘रसप्रिया’, ‘लालपान की बेगम’ और ‘तीसरी कसम’ अर्थात् ‘मारे गए गुलफाम’ छठे दशक की हिन्दी कहानी की महत्त्वपूर्ण उपलब्/िायाँ मानी जाती हैं । ‘तीसरी कसम’ पर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित लोकप्रिय फिल्म का निर्माण हो चुका है । रेणु की ‘पंचलाइट’ कहानी पर एक टेलीफिल्म भी बन चुकी है । रेणु रचनावली के पहले खंड में रेणु की सम्पूर्ण कहानियाँ पहली बार एक साथ, एक जगह प्रकाशित हो रही हैं । इन तमाम कहानियों से एक साथ गुजरने के बाद पाठक यह सहज ही महसूस करेंगे कि रेणु ने एक कहानी की वस्तु या पात्र को परिवेश या नाम बदलकर दुहराया नहीं है । हर कहानी में रेणु का अपना मिजाज“ और रंग होते हुए भी वे एक–दूसरे से अलग हैं और उनके अपूर्व रचना–कौशल की परिचायक हैं ।

Enjoying reading this book?
Binding: HardBack
About the author फणीश्‍वर नाथ रेणु {4 मार्च 1921 - 11 अप्रैल, 1977}, ने 1942 के भारत-छोड़ो आंन्दोलन के सक्रिय स्वन्त्रता भाग लिया। 1950 में नेपाली दमनकारी रणसत्ता के विरूद्ध सशस्त्र क्रांति के सूत्रधार रहे। 1954 में 'मैला आँचल' उपन्यास प्रकाशित हुआ तत्पश्चात् हिन्दी के कथाकार के रूप में अभूतपूर्व प्रतिष्ठा मिली। इनकी लेखनशैली वर्णणात्मक थी जिसमें पात्र के प्रत्येक मनोवैज्ञानिक सोच का विवरण लुभावने तरीके से किया होता था। इनकी लगभग हर कहानी में पात्रों की सोच घटनाओं से प्रधानहोती थी। एक आदिम रात्रि की महक इसका एक सुंदर उदाहरण है। इनकी कहानी मारे गये गुलफाम (तीसरी कसम) पर इसी नाम "तीसरी कसम"से राजकपूरऔर वहीदा रहमान की मुख्य भूमिका में प्रसिद्ध फिल्म बनी जिसे बासु भट्टाचार्य ने निर्देशित किया और सुप्रसिद्ध गीतकार शैलेन्द्र इसके निर्माता थे। यह फिल्म हिंदी सिनेमा में मील का पत्थर कही जाती है।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Pages: 2913
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788171787357
  • Category: Anthology
  • Related Category: Anthology
Share this book Twitter Facebook
Related articles
Related articles
Related Videos


Suggested Reads
Suggested Reads
Books from this publisher
Gondvana Ki Lokkathayen by Dr. Vijay Chourasia
Dharati Ki Pari by Malti Shanker
Badalta Hua Desh : Swarndesh Ki Lok Kathayen by Manoj Kumar Pandey
Sitam Ki Intiha Kya Hai by Satyendra Kumar Teneja
Dastan E Laapata by Manzoor Ehtesham
Sitaron Ki Raten by Shobha De
Books from this publisher
Related Books
Juloos Phanishwarnath Renu
Juloos Phanishwarnath Renu
Aadim Ratri Ki Mehak Phanishwarnath Renu
Pranon Mein Ghule Huye Rang Phanishwarnath Renu
JULOOS Phanishwarnath Renu
Dus Pratinidhi Kahaniyan : Phanishwar Nath Renu Phanishwarnath Renu
Related Books
Bookshelves
Stay Connected