Synopsis‘शहीदे आजम भगत सिंह को फाँसी क्यों दी गयी? कब दी गयी? उनकी विचारधारा क्या थी? ऐसी ढेर सारी बातें बहुत लोगों को नहीं मालूम पर यह पता है कि भगत सिंह की फाँसी की सजा को महात्मा गाँधी चाहते तो रुकवा सकते थे लेकिन उन्होंने नहीं रुकवाया। महत्त्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि किन तत्त्वों ने इस गलत बात को इतना प्रचारित और प्रसारित किया? अंग्रेजी हुकूमत को भी शायद इतना पता नहीं होगा कि उसकी साजिश इतनी शानदार सफलता को प्राप्त करेगी, जितनी हुई। यही नहीं, आज भी उसके साज़िश की दुर्गन्ध फल-फूल रही है, यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है। राष्ट्रपिता और भगत सिंह उन रचनाओं में से नहीं है, जिनमें किसी की लकीर को बड़ा साबित करने के लिए किसी अन्य की लकीर को घटाया और मिटाया जाता है। यह पुस्तक दो सच्चे महामानवों की समानान्तर गाथा, उनके विचारों और भारतीय जनमानस पर उनकी छाप का एक पक्षपात रहित खरा विमर्श है।
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Binding: PaperBack
About the author
लेखन : सुजाता के नाम से । शिक्षा : एम.ए. (द्वय) (राजनीतिशास्त्र, इतिहास), एल. एल.बी., पीएच.डी., पत्रकारिता में डिप्लोमा। प्रकाशन : सैकड़ों पत्र-पत्रिकाओं में लेख और कहानियाँ प्रकाशित। आकाशवाणी भागलपुर से अनेक कहानियाँ प्रसारित। प्रकाशित रचनाएँ : उपन्यास : दुख भरे सुख, कश्मीर का दर्द, दुख ही जीवन की कथा रही, प्रेमपुरुष, सौ साल पहले–चम्पारण का गाँधी, मैं पृथा ही क्यों न रही; कहानी संग्रह : मर्द ऐसे ही होते हैं, सच होते सपने, चालू लड़की; गाँधी साहित्य : महात्मा का अध्यात्म, बापू और स्त्री, गाँधी की नैतिकता, राष्ट्रपिता और नेताजी, राष्ट्रपिता और भगत सिंह, बापू कृत बालपोथी, चम्पारण का सत्याग्रह, सत्य के दस्तावेज़; अन्य रचनाएँ : संक्षिप्त श्रीमद्भागवतम्, श्री चैतन्य देव। प्रकाशन के क्रम में : उपन्यास–मेघना के श्याम (नोआखाली के गाँधी पर आधारित उपन्यास), कहानी संग्रह–अगले जनम मोहे बिटिया ही दीजियो, कविता संग्रह–कहाँ है मेरा घर? । कार्य क्षेत्र : श्री रास बिहारी मिशन ट्रस्ट की मुख्य न्यासी। इस ट्रस्ट द्वारा प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्र के लिए विद्यालयों की स्थापना, विशेषतया बालिका शिक्षा और महिला स्वावलम्बन एवं सशक्तीकरण हेतु रोज़गार एवं प्रशिक्षण-दलित बच्चों की शिक्षा हेतु विद्यालय संचालन, वृन्दावन में महिलाओं के लिए आश्रम का संचालन, चेरिटेबल विद्यालय का संचालन।