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Home Nonfiction Biographies & Memoirs Priya Ram, Priya Nirmal
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Priya Ram, Priya Nirmal
by Gangan Gill
4.7
4.7 out of 5
Creators
AuthorGangan Gill
PublisherVani Prakashan
Synopsisप्रिय राम निर्मल वर्मा के निधन के बाद यह उनकी पहली पुस्तक है। बड़े भाई चित्रकार रामकुमार को लिखे पत्र। हालाँकि यहाँ संकलित और उपलब्ध अधिकतर पत्र निर्मल वर्मा ने साठ के दशक में प्राग से लिखे थे। उनमें गूंजती अन्तरंगता, आपसी विश्वास और कही-अनकही की ध्वनियाँ दोनों भाइयों के सुदूर बचपन में जाती हैं। दोनों भाई शुरू से ही स्वप्नजीवी थे, एक-दूसरे के आन्तरिक जीवन में सूक्ष्म जिज्ञासा की पैठ रखते थे और भली-भाँति जानते थे कि एक रचनाकार का जीवन भविष्य में उनकी कैसी कठिन परीक्षाएँ लेगा। दोनों की कल्पनाशीलता ने अपने रचना-कर्म के लिए कठिन रास्तों का चुनाव किया और दोनों इस श्रम-साध्य और तपस यात्रा से तेजस्वी होकर अपने समय के शीर्ष रचनाकार बनकर स्थापित और सम्मानित हुए। इन पत्रों में निर्मल वर्मा के प्राग जीवन की छवियाँ हैं। और स्वदेश लौटने के बाद का अंकन है। उनके जीवन के ऐसे वर्ष, जिनकी लगभग कोई जानकारी अब तक उपलब्ध नहीं थी। इन पत्रों में निर्मल जी का जिया हुआ वह जीवन है, जो बाद में उनके कथा-साहित्य का परिवेश बना। इन पत्रों में व्यक्ति निर्मल वर्मा का नैतिक-राजनीतिक विकास है, जो बाद के वर्षों में अपने समय की एक प्रमुख और प्रखर असहमति की आवाज़ बना। निर्मल वर्मा की प्रज्ञा मूलतः प्रश्नाकुल थी, आलोचक नहीं-ये पत्र इसे रेखांकित करते हैं। अपने जीवनकाल में क्रूर आलोचना का शिकार रहकर उन्होंने इसकी कीमत भी चुकायी लेकिन अपने अर्जित सत्य पर अन्तिम समय तक अडिग रहकर उन्होंने अपनी तेजस्विता से लगभग सभी आलोचकों को बौना कर दिया। ये पत्र उस एकाकी आग का दस्तावेज़ हैं, जिसमें से तपकर कभी वह एक युवा लेखक के नाते गुज़रे थे और आने वाले वर्षों में सचमुच निर्मल कहलाये थे।