SynopsisPrayer was an integral and important part of Mahatma Gandhi's personal and public life. In his personal life, Mahatma Gandhi used prayer as a means of communicating with God and purifying and disciplining himself. In public life, he extended the meaning of prayer beyond religion and spirituality, using it as a means of bonding with the people and building a sense of community and harmony. Divided into three sections, this book presents Mahatma Gandhi's thoughts and views on the meaning and practice of prayer.
Enjoying reading this book?
Binding: PaperBack
About the author
मोहनदास करमचन्द गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। विश्व-भर में लोग उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जानते हैं। गांधी जी ने अहिंसक सविनय अवज्ञा का अपना राजनीतिक औजार प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष हेतु प्रयुक्त किया। 1915 में भारत वापसी के बाद उन्होंने यहाँ में किसानों, कृषि मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए एकजुट किया। 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर सँभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण, आत्म- निर्भरता के लिए अस्पृश्यता का अन्त आदि के लिए बहुत से आन्दोलन चलाए। किन्तु इन सबसे अधिक स्वराज की प्राप्ति उनका प्रमुख लक्ष्य था। गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाए गए नमक कर के विरोध में 1930 में दांडी मार्च और इसके बाद 1942 में, ब्रिटिश भारत छोड़ो आन्दोलन से भारतीयों का नेतृत्व कर प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में रहना पड़ा।