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Home Nonfiction Art & Culture Pragyasurya : Dr. Babasahab Ambedkar
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Pragyasurya : Dr. Babasahab Ambedkar
by Sharan Kumar Limbale
4.1
4.1 out of 5
Creators
AuthorSharan Kumar Limbale
PublisherVani Prakashan
Synopsisबाबासाहब आम्बेडकर जी के महापरिनिर्वाण के बाद उनके लेखन की समीक्षा और विश्लेषण अनेकानेक पद्धतियों से किया गया है। बाबासाहब के लेखन के अनुवाद जिस प्रकार प्रकाशित हुए, वैसे उनके लेखन की सम्पादित पुस्तकें और खंड भी प्रकाशित हुए हैं। बाबासाहब पर अनेक लेखकों ने लेखन और अनुसन्धान भी किया है। बाबासाहब पर कहानियाँ, कविताएँ और उपन्यास लिखे हैं, बाबासाहब द्वारा लिखे गये लेखन की अपेक्षा उन पर और उनके द्वारा लिखे गये लेखन पर विपुल मात्रा में ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं। उनके महापरिनिर्वाण के बाद भारतीय समाज में हुए उतार-चढ़ाव विविध स्वरुप के हैं। उनके विचारों की अनदेखी की गयी। आम्बेडकरी आन्दोलन और समाज में गतिरोध पैदा कर उन्हें चुप कराने का प्रयत्न हुआ।...आज के सन्दर्भ में बाबासाहब के विचार जैसे लागू होते हैं, वैसे दलितों के भविष्य के सन्दर्भ में भी उनके विचार मार्गदर्शक साबित होने वाले हैं। दलित आन्दोलनों के लिए बाबासाहब का लेखन संविधान की तरह है। बाबासाहब के ऐतिहासिक महत्त्व को जानकर दलितों में से कुछ बुद्धिजीवियों ने आत्मसंरक्षक तथा आक्रामक भूमिका अपना ली है। बाबासाहब के विचारों के साथ औरों से तुलना करने का उन्होंने विरोध किया। बाबासाहब ने मार्क्स का विरोध किया इसलिए मार्क्स का विरोध, कांग्रेस को जलता हुआ घर कहा, इसलिए गाँधी जी का विरोध किया, बाबासाहब ने बौद्ध धर्म को स्वीकारा, इसलिए सभी क्षेत्रों में धर्म की परिभाषा का आग्रह किया जाने लगा।