logo
Home Nonfiction Biographies & Memoirs Pehla Girmitiya
product-img
Pehla Girmitiya
Enjoying reading this book?

Pehla Girmitiya

by Giriraj Kishore
4.7
4.7 out of 5

publisher
Creators
Publisher Rajpal
Synopsis गिरमिटिया' अंग्रेज़ी के शब्द 'एग्रीमेंट' का बिगड़ा हुआ रूप है। यह वह एग्रीमेंट या 'गिरमिट' है जिसके तहत हज़ारों भारतीय मज़दूर आज से डेढ़ सौ साल पहले दक्षिण अफ्रीका में काम की तलाश में गए थे। एक अजनबी देश, जिसके लोग, भाषा, रहन-सहन, खान-पान, एकदम अलग.... और सारे दिन की कड़ी मेहनत के बाद न उनके पास कोई सुविधा, न कोई अधिकार। तभी इंग्लैंड से वकालत कि पढ़ाई पूरी कर 1893 में मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका पहुंचते हैं। रेलगाड़ी का टिकेट होने के बावजूद उन्हें रेल के डिब्बे से सामान समेत बाहर निकाल फेंका जाता है। इस रंगभेद नीति के पहले अनुभव ने युवा गांधी पर गहरी छाप छोड़ी। रंगभेद नीति की आड़ में दक्षिण अफ्रीका में काम कर रहे भारतीय मजदूरों पर हो रहे अन्याय गांधी को बर्दास्त नहीं होते और वे उन्हें उनके अधिकार दिलाने के संघर्ष में पूरी तरह जुट जाते हैं। बंधुआ मजदूरों के साथ अपनी एकता को प्रदर्शित करने के लिए अपने आपको 'पहला गिरमिटिया' कहते हैं। 19वीं और 20वीं सदी के दक्षिण अफ्रीका की सामाजिक, राजनीतिक पृष्ठभूमि पर आधारित इस उपन्यास को सन् 2000 के व्यास सम्मान से पुरस्कृत किया गया है। 'शतदल सम्मान' और 'गांधी सम्मान'से सुसज्जित पहला गिरमिटिया गांधी जी को समझने का एक सफल प्रयास है।

Enjoying reading this book?
Binding: PaperBack
About the author गिरिराज किशोर (8 जुलाई 1937 - 9 फरवरी 2020) हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार होने के साथ-साथ एक सशक्त कथाकार, नाटककार और आलोचक थे। इनके सम-सामयिक विषयों पर विचारोत्तेजक निबंध विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से प्रकाशित होते रहे हैं। इनका उपन्यास ढाई घर अत्यन्त लोकप्रिय हुआ था। वर्ष 1991 में प्रकाशित इस कृति को 1992 में ही साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कर दिया गया था। गिरिराज किशोर द्वारा लिखा गया पहला गिरमिटिया नामक उपन्यास महात्मा गाँधी के अफ़्रीका प्रवास पर आधारित था, जिसने इन्हें विशेष पहचान दिलाई। गिरिराज किशोर का जन्म 8 जुलाई 1937 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरर नगर में हुआ, इनके पिता ज़मींदार थे। गिरिराज जी ने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया और स्वतंत्र लेखन में लग गये थे। उन्होंने 1960 में समाज विज्ञान संस्थान, आगरा से सोशल वर्क से पढ़ाई की। 1960 से 1964 तक वे उ.प्र. सरकार में सेवायोजन अधिकारी व प्रोबेशन अधिकारी रहे, 1964 से 1966 तक इलाहाबाद में रह कर स्वतन्त्र लेखन में लग गये। जुलाई 1966 से 1975 तक कानपुर विश्वविद्यालय में सहायक और उपकुलसचिव के पद पर सेवारत रहें। दिसम्बर 1975 से 1983 तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के कुलसचिव रहें। 1983 से 1997 तक वहीं पर रचनात्मक लेखन केन्द्र के अध्यक्ष रहें। 1 जुलाई 1997 अवकाश ग्रहण किया। रचनात्मक लेखन केन्द्र उनके द्वारा ही स्थापित एक संस्था है। 9 फरवरी 2020 को उनका निधन हो गया। गिरिराज किशोर जी के प्रमुख कहानी संग्रह नीम के फूल, चार मोती बेआब, पेपरवेट, रिश्ता और अन्य कहानियां, शहर -दर -शहर, हम प्यार कर लें, जगत्तारनी एवं अन्य कहानियां, वल्द रोजी, यह देह किसकी है?, कहानियां पांच खण्डों में (प्रवीण प्रकाशन, महरौली),'मेरी राजनीतिक कहानियां' व हमारे मालिक सबके मालिक गिरिराज किशोर जी के चर्चित उपन्यास एवं नाटक लोग, चिडियाघर, दो, इंद्र सुनें, दावेदार, तीसरी सत्ता, यथा प्रस्तावित, परिशिष्ट, असलाह, अंर्तध्वंस, ढाई घर, यातनाघर, आठ लघु उपन्यास अष्टाचक्र के नाम से दो खण्डों में आत्मा राम एण्ड संस से प्रकाशित। पहला गिरमिटिया - गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीकी अनुभव पर आधारित महाकाव्यात्मक उपन्यास नाटक- नरमेध, प्रजा ही रहने दो, चेहरे - चेहरे किसके चेहरे, केवल मेरा नाम लो, जुर्म आयद, काठ की तोप। बच्चों के लिए एक लघुनाटक ' मोहन का दु:ख' गिरिराज जी को 2007 में भारत सरकार द्वारा भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajpal
  • Pages: 906
  • Binding: PaperBack
  • ISBN: 9788170289524
  • Category: Biographies & Memoirs
  • Related Category: Biographies
Share this book Twitter Facebook


Suggested Reads
Suggested Reads
Books from this publisher
India of my Dreams by Mahatma Gandhi
Mehfil by Kamleshwar
Baheliye by Ankita Jain
Sita Ke Paanch Nirnay by Devdutt Pattanaik
Yatna Shivir Mein by Himanshu Joshi
Bhartiya Arthatantra Itihas Aur Sanskriti by Amartya Sen
Books from this publisher
Related Books
Gandhi Aur Samaj Giriraj Kishore
Aanjaney Jayte Giriraj Kishore
Giriraj Kishore ki Lokpriya Kahaniyan Giriraj Kishore
Giriraj Kishore ki Lokpriya Kahaniyan Giriraj Kishore
Jugalbandi Giriraj Kishore
Baa Giriraj Kishore
Related Books
Bookshelves
Stay Connected