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Home Literature Poetry Os Ki Thapaki
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Os Ki Thapaki
by Ashutosh Agnihotri
4.4
4.4 out of 5
Creators
AuthorAshutosh Agnihotri
PublisherRadhakrishna Prakashan
Synopsis'ओस की थपकी' साधारण भावनाओं की सरल लेकिन अहसास के स्तर पर ठहरकर पढ़ी जानेवाली कविताओं का संग्रह है। इस संग्रह में सम्मिलित कविताएँ पहली निगाह में बहुत आसान अनुभवों की अक्काशी करती नज़र आती हैं, लेकिन ध्यान से देखें तो उनके पीछे जीवन के जटिल और आवेशकारी तजुर्बों की एक लम्बी शृंखला बिंधी दिखाई देती है। कवि एक कविता में समाज के, हमारे आसपास के परिवेश में व्याप्त दीमकों की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए कहता है कि 'अफसोस से देखते हैं/कुतरी हुई किताबें/उदास अलमारियाँ/...मगर करें तो करें क्या/जि़द्दी हैं ये दीमक।' गौर से नहीं देखें तो हम इसे एक सीलन-भरे कमरे का दृश्य समझकर आगे बढ़ सकते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि ये दीमकें उन ताकतों का प्रतीक मात्र हैं जो हमारे आसपास आजकल हर कहीं $खासतौर पर ज्ञान, शिक्षा और पुस्तकों के विरुद्ध अपनी कुंद दिमाग जि़द को चढ़ाए बैठी हैं। इसीलिए कवि अन्त में इसके लिए एक उपचार भी सुझाता है कि ये दीमकें 'तब तक उगतीं/और उठती रहेंगी/ जब तक खोदकर/गहराइयों में/जला नहीं देते/ नई अलख...।' एक ऐसी अलख जिसकी आँच में मिट्टी का कण-कण, हमारे परिवेश का एक-एक अंश गमकने लगे। नई लौ, और नई खुशबू इस तरह जाग्रत हों कि भविष्य में किसी भी दीमक को, किसी भी ऐसी ताकत को उभरने का अवसर न मिले जो हमारी मानवीय जिज्ञासा को चुनौती देती हो। इसी तरह इस संग्रह की लगभग सभी कविताएँ जीवन के अतिसाधारण बिम्बों और चित्रों के माध्यम से ऐसी समस्याओं से हमारा परिचय कराती हैं जिनकी तरफ हमारा ध्यान अपनी दैनंदिन व्यस्तताओं की ऊहापोह में नहीं जाता है। ये कविताएँ वास्तव में हमारी उन्हीं दैनिक सामान्यताओं को कविता के असाधारण अनुभव में बदलने का भाषिक उपक्रम है।