Synopsisप्रस्तुत ग्रन्थ में युवा कल्याणार्थ नाथपन्थ का वर्णन सात अध्यायों में एवं परिशिष्ट के माध्यम से किया गया है। इसके प्रथम अध्याय में गुरु गोरखनाथ द्वारा बताये गये हठयोग का वर्णन आदित्यनाथ जी के ग्रन्थ 'हठयोग : स्वरूप एवं साधना' की सहायता से किया गया है। इसमें योग और प्राणायाम के द्वारा स्वस्थ एवं मुक्ति मार्ग प्राप्त करने का वर्णन है। दूसरे अध्याय में संस्कारिक शिष्यों श्री गोरखनाथ एवं कानिफानाथ के द्वारा श्री मत्स्येन्द्रनाथ एवं जालन्धरनाथ की मुक्ति की कथा का वर्णन किया गया है। तीसरे अध्याय में कौल ज्ञान का वर्णन किया गया है। चौथे अध्याय में जालन्धरनाथ एवं कानिफानाथ के कापालिक मत का वर्णन किया गया है। पाँचवें अध्याय में भर्तृहरि (विचारनाथ) के उपदेशों का संकलन किया गया है। छठे अध्याय में नाथपन्थ के संसिद्धि के विचार तथा बाह्य आडम्बर के विरोध का वर्णन संगृहीत है। सातवें अध्याय में कुण्डलिनी जागरण के द्वारा मोक्ष की प्राप्ति का वर्णन किया गया है। परिशिष्ट में विविध विषयों का वर्णन किया गया है। यह पुस्तक युवाओं के लिए तो अत्यन्त उपयोगी है ही साथ-ही-साथ नाथपन्थ के सिद्धान्तों के जिज्ञासुओं की पिपासा भी शान्त करने की क्षमता रखती है। इसलिए यह पुस्तक जगत् के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी।