Synopsisयुगद्रष्टा, क्रांतिकारी और सक्रिय सामाजिक चेतना से संपन्न कथाकार यशपाल की कृतियाँ राजनितिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में आज भी प्रासंगिक हैं । स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान और स्वातंत्रयोत्तर भारत की दशा-दिशा पर उन्होंने अपनी कथा-रचनाओं में जो लिखा, उसकी महत्ता दस्तावेज के रूप में भी है और मार्गदर्शक वैचारिक के रूप में भी । 'मेरी तेरी उसकी बात' की पृष्ठभूमि में 1942 का भारत छोडो आन्दोलन है, लेकिन सिर्फ घटनाओं का वर्णन नहीं । एक दृष्टिसंपन्न रचनाकार की हैसियत से यशपाल ने उसमे खासतौर पर यह रेखांकित किया है कि क्रांति का अभिप्राय सिर्फ शासकों का बदल जाना नहीं, समाज और उसके दृष्टिकोण का आमूल परिवर्तन है । स्त्री के प्रति प्रगतिशील और आधुनिक नजरिया उनके अन्य उपन्यासों की तरह इस उपन्यास के भी प्रमुख स्वरों में एक है ।
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Binding: PaperBack
About the author
यशपाल (3 दिसम्बर 1903 - 26 दिसम्बर 1976 का नाम आधुनिक हिन्दी साहित्य के कथाकारों में प्रमुख है। ये एक साथ ही क्रांतिकारी एवं लेखक दोनों रूपों में जाने जाते है। प्रेमचंद के बाद हिन्दी के सुप्रसिद्ध प्रगतिशील कथाकारों में इनका नाम लिया जाता है। अपने विद्यार्थी जीवन से ही यशपाल क्रांतिकारी आन्दोलन से जुड़े, इसके परिणामस्वरुप लम्बी फरारी और जेल में व्यतीत करना पड़ा। इसके बाद इन्होने साहित्य को अपना जीवन बनाया, जो काम कभी इन्होने बंदूक के माध्यम से किया था, अब वही काम इन्होने बुलेटिन के माध्यम से जनजागरण का काम शुरु किया। यशपाल को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1970 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।यशपाल के लेखन की प्रमुख विधा उपन्यास है, लेकिन अपने लेखन की शुरूआत उन्होने कहानियों से ही की। उनकी कहानियाँ अपने समय की राजनीति से उस रूप में आक्रांत नहीं हैं, जैसे उनके उपन्यास। नई कहानी के दौर में स्त्री के देह और मन के कृत्रिम विभाजन के विरुद्ध एक संपूर्ण स्त्री की जिस छवि पर जोर दिया गया, उसकी वास्तविक शुरूआत यशपाल से ही होती है। आज की कहानी के सोच की जो दिशा है, उसमें यशपाल की कितनी ही कहानियाँ बतौर खाद इस्तेमाल हुई है। वर्तमान और आगत कथा-परिदृश्य की संभावनाओं की दृष्टि से उनकी सार्थकता असंदिग्ध है। उनके कहानी-संग्रहों में पिंजरे की उड़ान, ज्ञानदान, भस्मावृत्त चिनगारी, फूलों का कुर्ता, धर्मयुद्ध, तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ और उत्तमी की माँ प्रमुख हैं।