Synopsisश्री भगवतीचरण वर्मा ने यद्यपि कहानियाँ कम ही लिखी हैं, उनकी गणना हिन्दी के अग्रणी कथाकारों में की जाती है। ‘दो बांके’, ‘आवारे’ आदि उनकी ऐसी कहानियाँ हैं, जिनको कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। प्रस्तुत संकलन में उन्होंने स्वयं अपने समग्र कहानी-लेखन में से बारह श्रेष्ठ कहानियाँ चुनी हैं, और अपने लेखन के संबंध में एक भूमिका भी दी है जिससे साहित्य के अध्येताओं को उनके विषय में जानने में मदद मिलती है। यह संकलन लेखक के कहानीकार व्यक्तित्व का संपूर्ण प्रतिनिधित्व करता है।
Enjoying reading this book?
Binding: PaperBack
About the author
भगवती चरण वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के शफीपुर गाँव में हुआ था। वर्माजी ने इलाहाबाद से बी॰ए॰, एल॰एल॰बी॰ की डिग्री प्राप्त की और प्रारम्भ में कविता लेखन किया। फिर उपन्यासकार के नाते विख्यात हुए। 1933 के करीब प्रतापगढ़ के राजा साहब भदरी के साथ रहे। 1936 के लगभग फिल्म कारपोरेशन, कलकत्ता में कार्य किया। कुछ दिनों ‘विचार’ नामक साप्ताहिक का प्रकाशन-संपादन, इसके बाद बंबई में फिल्म-कथालेखन तथा दैनिक ‘नवजीवन’ का सम्पादन, फिर आकाशवाणी के कई केंन्दों में कार्य। बाद में, 1957 से मृत्यु-पर्यंत स्वतंत्न साहित्यकार के रूप में लेखन। ‘चित्रलेखा’ उपन्यास पर दो बार फिल्म-निर्माण और ‘भूले-बिसरे चित्र’ साहित्य अकादमी से सम्मानित। पद्मभूषण तथा राज्यसभा की मानद सदस्यता प्राप्त।