Synopsisसमय के साथ कितनी ही हकीकतें फरेब बन जाती हैं और कितने ही ख्वाब सच्चाई में ढल जाते हैं-समय न तो अंधेरों की निरंतरता है, न इतिहास और सभ्यता के किसी अनदेखे रस्ते पर एक अंधी दौड़ ! इन सबके विपरीत समय एक तलाश है, बोध है, विजन है और एक कर्मभूमि ! समय की कोई सीमा अगर कायम की जा सकती है, और अगर उसे एक नाम दिया जा सकता है तो वह नाम ‘आदमी’ है ! आदमी की बुनियादी समस्या पाषाण युग से मंटो और मंटो के पात्रों तक, एक ही रही है : कोई रौशनी, कोई रौशनी... रौशनी के लिए, नई रौशनी की खातिर, नित-नई रौशनी की तलाश में आदमी ने सदियों का सफ़र तै किया और आज भी सफ़र में है ! इसी निरंतर और अधूरे सफ़र का एक पड़ाव मंटो है ! मंटो की तलाश और खोज के हवाले से इस कोशिश का मुनासिब और सटीक नाम ‘दस्तावेज’ के अलावा सोचा भी नहीं जा सकता !
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Binding: PaperBack
About the author
सआदत हसन मंटो (11 मई 1912 – 18 जनवरी 1955) उर्दू लेखक थे, जो अपनी लघु कथाओं, बू, खोल दो, ठंडा गोश्त और चर्चित टोबा टेकसिंह के लिए प्रसिद्ध हुए। कहानीकार होने के साथ-साथ वे फिल्म और रेडिया पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने बाइस लघु कथा संग्रह, एक उपन्यास, रेडियो नाटक के पांच संग्रह, रचनाओं के तीन संग्रह और व्यक्तिगत रेखाचित्र के दो संग्रह प्रकाशित किए।
कहानियों में अश्लीलता के आरोप की वजह से मंटो को छह बार अदालत जाना पड़ा था, जिसमें से तीन बार पाकिस्तान बनने से पहले और बनने के बाद, लेकिन एक भी बार मामला साबित नहीं हो पाया। इनकी कई रचनाओं का दूसरी भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।