Synopsisएक माँ की बेबाक, बेलौस डायरी। किताब एक माँ के नोट्स हैं, लेखिका का अपना ज़िन्दगीनामा है तो दूसरी माँओं के क़िस्से भी। बच्चों को पैदा करने से लेकर उनकी परवरिश के क्रम में एक पेरेन्ट, एक परिवार, एक समाज किस तरह ख़ुद को कितना बदलता है (या नहीं बदल पाता), उसका लेखा-जोखा। 'मम्मा की डायरी' न पेरेन्टिंग गाइड है और न फिक्शन, न मातृत्व पर सलाह है। तजुर्बों का एक संकलन है, और कुछ मुश्किल सवालों के जवाब ढूँढ़ने की कोशिश। किताब नॉन-फिक्शन है, और इसमें शामिल क़िस्से असल ज़िन्दगी के टुकड़े हैं।
Enjoying reading this book?
Binding: PaperBack
About the author
फ़िल्मकार, स्क्रीनराइटर, एडिटर, अनुवादक, स्तंभकार, एक्स-पत्रकार। यानी दूसरे शब्दों में 'मौक़ापरस्त’! मूलत: बिहार से। 'नीला स्कार्फ़’ (कहानी-संग्रह; 2014) और 'मम्मा की डायरी’ (कथेतर; 2015) हिन्द युग्म से प्रकाशित। ये दोनों किताबें दैनिक जागरण नील्सन बेस्टसेलर सूची में शामिल हो चुकी हैं। ‘मम्मा की डायरी’ मदरहुड-पैरेंटिंग विषय पर हिंदी में लिखी गई अपनी तरह की पहली और एकमात्र किताब है। 'गाँव कनेक्शन’ के लिए रिपोर्टिंग करते हुए रामनाथ गोयनका अवॉर्ड और लाडली अवॉर्ड मिला। इन दिनों मुंबई, दिल्ली, पूर्णिया और गैंगटोक के बीच कहीं ठिकाने की तलाश में हैं।