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Home Literature Poetry Maan Aur Dwandwa
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Maan Aur Dwandwa
by Jagdish Sharma
4.8
4.8 out of 5
Creators
AuthorJagdish Sharma
PublisherVani Prakashan
Synopsisप्रस्तुत काव्य संग्रह की बहुत-सी कविताएँ माँ या नारी पर आधरित हैं। नारी, मनुष्य के जीवन में कई रूपों में सामने आती है। नारी के विभिन्न रूपों यथा माँ, प्रेयसी, पत्नी, बहन, बेटी आदि को इन्होंने अपनी कविता के माध्यम से चित्रित किया है। इसी बहाने राग प्रेम, शृंगार की भावनाएँ एवं द्वन्द्व के साथ सामने शामिल हैं। ‘माँ बस माँ होती है’, ‘मातृत्व का अस्तित्व’, ‘दाँव पर द्रौपदी’, ‘ययाति कन्या माध्वी’ पौराणिक सन्दर्भ लिए ऐसी ही कविताएँ हैं। गाँव और शहर का द्वन्द्व, हिंसा और यु( से लेकर प्राकृतिक सौन्दर्य तक इनकी कविताएँ यात्रा करती दिखलायी पड़ती हैं। वर्तमान सन्दर्भ में कोरोना कनैक्शन की छाया भी कविताओं में दृष्टिगोचर होती है जिससे ज्ञात होता है कि कवि अतीत से लेकर वर्तमान तक सक्रिय और गतिशील है। ‘गाँव से शहर’, ‘गाँव जो शहर हुआ’ से लेकर ‘हिंसा बस हिंसा होती है’, ‘ख़ून और इन्सान’, ‘शब्दों के जंगल’, ‘महसूसने का सुख’, ‘प्रश्न हार जीत का’ आदि कविताएँ ध्यान आकर्षित करती हैं। 2018 के दिसम्बर में इन्हें पत्नी शोक की दारुण व्यथा झेलनी पड़ी, इस विषय पर भी इनकी कुछ कविताएँ आयी हैं जो विह्वल कर देती हैं। कम-से-कम शब्दों में बड़ी-से-बड़ी बात कहने की विशेषता इनकी क्षणिकाओं में देखने को मिलती है।-सुदर्शन वशिष्ठ