Synopsisउनकी आवाज़ से चेहरे बनते हैं। ढेरों चेहरे,जो अपनी पहचान को किसी रंग-रूप या नैन -नक्शे से नहीं, बल्कि सुर और रागिनी के आइनें में देखने से आकार पते हैं। एक ऐसी सलोनी निर्मिती, जिसमे सुर का चेहरा दरअसल भावनाओं का चेहरा बन जाता है। कुछ-कुछ उस तरह,जैसे बचपन में पारियों की कहानियों में मिलने वाली एक रानी परी का उदारता और प्रेम से भीगा हुआ व्यक्तित्व हमको सपनों में भी खुशियों और खिलोंनों से भर देता था। बचपन में रेडियों या ग्रामोफोन पर सुनते हुए किसी प्रणय-गीत या नृत्य की झंकार में हमें कभी यह महसूस ही नही हुआ कि इस बक्से के भीतर कुछ निराले द्गंग से मधुबाला या वहीदा रहमान पियानो और सितार कि धुन पर थिरक रही हैं, बल्कि वह एक सीधी-सादी महिला कि आवाज़ कम झीना सा पर्दा है, जिस पर फूलों का भी हरसिंगार कि पंखुरियों का रंग और धरती पर चंद्रमा कि टूटकर गिरी हुई किरणों का झिलमिल पसरा है।
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Binding: HardBack
About the author
कलाओं में गहरी रुचि रखने वाले हिन्दी कवि, सम्पादक और संगीत अध्येता यतीन्द्र मिश्र के अबतक तीन कविता-संग्रह प्रकाशित हैं। ड्योढी पर आलाप विशेष चर्चित रहा। साथ ही, इन्होंने शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी पर हिंदी में एक पुस्तक लिखी है। हाल ही में प्रसिद्ध नृत्यांगना सोनल मान सिंह पर इनकी एक पुस्तक देवप्रिया प्रकाशित हुई है। भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद युवा पुरस्कार, तथा हेमंत स्मृति कविता पुरस्कार से सम्मानित।
इन दिनों सहित पत्रिका के संपादन से संबद्ध।