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Home Literature Poetry Lamha Lamha zindagi
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Lamha Lamha zindagi
by Suwarna dikshit
4.5
4.5 out of 5
Creators
AuthorSuwarna dikshit
PublisherAnjuman Prakashan
Synopsis‘क़ैद-ए-दुनिया से उसकी गली की तरफ़’, एक सफ़र है, ‘लम्हा-लम्हा ज़िन्दगी’। सफ़र में बिटिया की मासूमियत साथ हो तो ‘मन्त्रों की तरह बिटिया’ जैसी ग़ज़ल बन जाती है, कभी कुछ यूँ महसूस होता है कि, ‘बीनाई में अपनी वो असर क्यों नही आता, ऊँचाइयों का ऐब नज़र क्यों नही आता’। इन अलग-अलग अहसासों ने मन के दरवाज़े पर दस्तक दी, और कलम के रास्ते कुछ लम्हे ज़िन्दगी की पीठ पर अपने निशान बनाने लगे। अहसासों में डूबे इन्हीं लम्हों का नाम हुआ, ‘लम्हा-लम्हा ज़िन्दगी’।