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Kirdar
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Kirdar

by Manisha kulashreshta
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Creators
Publisher Rajpal
Synopsis ‘‘मेरे क़िरदार थोड़ा इसी समाज से आते हैं, लेकिन समाज से कुछ दूरी बरतते हुए। मेरी कहानियों में ‘फ्रीक’ भी जगह पाते हैं, सनकी, लीक से हटेले और जो बरसों किसी परजीवी की तरह मेरे ज़हन में रहते हैं। जब मुकम्मल आकार प्रकार ले लेते हैं, तब ये क़िरदार मुझे विवश करते हैं, उतारो हमें कागज पर। कोई कठपुतली वाले की लीक से हट कर चली पत्नी, कोई बहरूपिया, कोई डायन क़रार कर दी गई आवारा औरत, बिगड़ैल टीनेजर, न्यूड माॅडलिंग करने वाली,...’’ अछूते क़िरदार और विषय तो मनीषा कुलश्रेष्ठ के लेखन की पहचान है और यही बात उनकी इन कहानियों में भी पूरी उतरती है। जहाँ एक ओर क़िरदार की कहानियों में कथ्य और परिवेश की विविधता है तो दूसरी ओर, माला में धागे की तरह, एक केन्द्रीय विषय-वस्तु भी है। कथ्य, कहने की धार और लोकरंग इन कहानियों को बेहद पठनीय बनाता है। किरदारों के भीतर हो रही उथल-पुथल को बड़ी संवेदना से अंतर्मन को झकझोरती ये कहानियाँ पाठकों को बहुत समय तक याद रहेंगी। मनीषा कुलश्रेष्ठ सभी विधाओं में लिखती हैं और उनके अनेक कहानी संग्रह और उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं।

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Binding: PaperBack
About the author हिन्दी साहित्य जगत की जानी मानी लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ को लेखन के प्रति रुचि अपनी मां से विरासत में मिली. मनीषा का जन्म 26 अगस्त, 1967 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ. विज्ञान से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने स्नातकोत्तर और एमफिल हिन्दी साहित्य से किया। प्रकाशित कृतियाँ: कठपुतलियाँ, कुछ भी तो रूमानी नहीं, केयर ऑफ स्वात घाटी, गन्धर्व-गाथा, बौनी होती परछाईं, रंग रूप रास गंध शिगाफ, शालभंजिका, मल्लिका, किरदार, होना अतिथि कैलाश का कृष्णा सोबती को अपना आदर्श मानने वाली मनीषा जी पिछले १० वर्षों से इंटरनेट की पहली हिंदी वेब पत्रिका हिंदीनेस्ट का सम्पादन कर रही हैं ।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajpal
  • Pages: 144
  • Binding: PaperBack
  • ISBN: 9789386534415
  • Category: Short Stories
  • Related Category: Novella
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