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Kavishree : Dinkar Granthmala
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Kavishree : Dinkar Granthmala

by Ramdhari Singh Dinkar
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Creators
Publisher Lokbharti Prakashan
Synopsis 'कविश्री' रामधारी सिंह 'दिनकर' की ओजस्वी कविताओं का संग्रह है। कविताओं में प्रखर राष्ट्रवाद, प्रकृति के प्रति उत्कट प्रेम एवं मानव-कल्याण-कामना की मंगल-भावना के दर्शन होते हैं। 'कविश्री' में संगृहीत हैं दिनकर जी की 'हिमालय के प्रति', 'प्रभाती', 'व्याल विजय' एवं 'नया मनुष्य' जैसी प्रसिद्ध प्रदीर्घ कविताएँ, जो हिन्दी काव्य-साहित्य की अमूल्य निधि हैं। दिनकर का काव्य-व्यक्तित्व जिस दौर में निर्मित हुआ, वह राजसत्ता और शोषण के विरुद्ध हर मोर्चे पर संघर्ष का दौर था। इसलिए 'कविश्री' में संकलित रचनाओं को पढ़ना भारतीय स्वाधीनता-संग्राम में साहित्य के योगदान से भी परिचित होना है। अपने ऐतिहासिक महत्त्व के कारण पाठकों के लिए एक संग्रहणीय और अविस्मरणीय संग्रह। तुम लाशें गिनते रहे खोजनेवालों की, लेकिन, उनकी असलियत नहीं पहचान सके; मुरदों में केवल यही जिन्दगीवाले थे, जो फूल उतारे बिना लौट कर आ न सके । हो जहाँ कहीं भी नील कुसुम की फुलकारी, मैं एक फूल तो किसी तरह ले जाउँगा; जुड़े में जब तक भेंट नहीं यह बाँध सकूँ, किस तरह प्राण की मणि को गले लगाऊंगा?

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Binding: HardBack
About the author रामधारी सिंह 'दिनकर' (23 सितंबर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रान्त के बेगुसराय जिले का सिमरिया घाट उनकी जन्मस्थली है। उन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है। उर्वशी को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार जबकि कुरुक्षेत्र को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ काव्यों में 74 वाँ स्थान दिया गया रचनाएँ:- अमृत मंथन, अर्धनारीश्वर, भग्न वीणा, चिंतन के आयाम, धुप छांह, दिनकर रचनावली (Vol . 1-4), द्वन्द्वगीत, हुंकार, कवि और कविता, कविता और सुध कविता, कविता की पुकार, काव्य की भूमिका, मिट्टी की ओर, नए शुभाषित, नील कुसुम, पंडित नेहरु और अन्य महापुरुष, पन्त, प्रसाद और मैथेलिशरण, परशुराम की प्रतीक्षा, , रश्मिरथी, रश्मिमाला, रसवन्ती, रेणुका, साहित्य और समाज, सामानांतर, स्म्र्नाजंली, संस्कृति भाषा और राष्ट्र, संस्कृति के चार अध्याय, सपनों का धुँआ, श्री अरविंद: मेरी द्रष्टि में , उजली आग, उर्वर्शी, व्यक्तिगत निबंध और डायरी |
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Lokbharti Prakashan
  • Pages: 72
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9789389243802
  • Category: Poetry
  • Related Category: Literature
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