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Kaili Kamini Aur Anita
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Kaili Kamini Aur Anita

by Amrita Pritam
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Creators
Author Amrita Pritam
Publisher Rajpal
Synopsis अनीता 'एक थी अनीता’ उपन्यास की नायिका है जिसके पैरों के सामने कोई रास्ता नहीँ, लेकिन वह चल देती हैं – कोई आवाज़ हैं, जाते कहां से उठतीं है और उसे बुलाती है... कैली 'रंग का पत्ता' उपन्यास की नायिका है, एक गांव की लड़की और कामिनी 'दिल्ली की गलियाँ' उपन्यास की नायिका है, एक पत्रकार। इनके हालात में कोई समानता नहीं, वे बरसों की जिन संकरी गलियों से गुजरती हैं, वे भी एक दूसरी की पहचान में नहीं आ सकतीं। लेकिन एक चेतना है, जो इन तीनो के अंतर से एक सी पनपती है.... वक्त कब और कैसे एक करवट लेता है, यह तीन अलग-अलग वार्ताओं की अलग-अलग ज़मीन की बात है। लेकिन इन तीनों का एक साथ प्रकाशन, तीन अलग-अलग दिशाओं से उस एक व्यथा को समझ लेने जैसा है, जो एक ऊर्जा बन कर उनके प्राणों में धड़कती है.... मुहब्बत से बडा जादू इस दुनिया में नहीं हैं। उसी जादू से लिपटा हुआ एक किरदार कहता है - "इस गांव में जहां कैली बसती है, मेरी मुहब्बत की लाज बसती है" और इसी जादू से लिपटा हुआ कोई ओर किरदार कहता है- "प्रिय तुम्हें देखा तो मैंने खुदा की जात पहचान ली..." जब कहीं कोई आवाज़ नहीं, किसी को अहसास होता है कि कुछेक क्षण थे, कुछेक स्पर्श ओर कुछेक कम्पन, और वे सब किसी भाषा के अक्षर थे.... कुछ पल ऐसे भी होते हैं, जो भविष्य से टूटे हुए होते हैं, फिर भी सांसों में बस जाते है, प्राणों में धड़कते हैं.... शमां की तरह जलती-पिघलती वे सोचती हैं- यही तो आग की एक लपट है, जिसकी रोशनी में खुद को पहचानना है"... - अमृता प्रीतम

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Binding: PaperBack
About the author बचपन और शिक्षा लाहौर में। किशोरावस्था से ही काव्य-रचना की ओर प्रवृत्ति। बँटवारे से पहले लाहौर से प्रकाशित होनेवाली मासिक पत्रिका 'नई दुनिया' का सम्पादन किया, फिर 'नागमणि' नामक पंजाबी मासिक निकाला। कुछ दिनों तक आकाशवाणी, दिल्ली से सम्बद्ध रहीं। 1956 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित और 1958 में पंजाब सरकार के भाषा-विभाग द्वारा पुरस्कृत। 1961 में सोवियत लेखक संघ के निमंत्रण पर मास्को-यात्रा, फिर मई, 1966 में बलगारिया लेखक संघ के निमंत्रण पर बलगारिया की यात्रा। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित। अब तक तीन दर्जन से अधिक पुस्तकें मूल पंजाबी में प्रकाशित, जिनमें से दो-तीन को छोड़कर प्राय: सभी पुस्तकों के हिन्दी अनुवाद। कुछ अन्य भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त रूसी, जर्मन आदि यूरोपीय भाषाओं में भी रचनाएँ अनूदित। प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें : धूप का टुकड़ा, काग़ज़ और कैनवस (कविता-संग्रह); रसीदी टिकट, दस्तावेज़ (आत्मकथा); डॉक्टर देव, पिंजर, घोंसला, एक सवाल, बुलावा, बन्द दरवाज़ा, रंग का पत्ता, एक थी अनीता, धरती, सागर और सीपियाँ, दिल्ली की गलियाँ, जलावतन, जेबकतरे, पक्की हवेली, आग की लकीर, कोई नहीं जानता, यह सच है, एक ख़ाली जगह, तेरहवाँ सूरज, उनचास दिन, कोरे काग़ज़, हरदत्त का जि़न्दगीनामा इत्यादि (उपन्यास); अन्तिम पत्र, लाल मिर्च, एक लड़की एक जाम, दो खिड़कियाँ, हीरे की कनी, पाँच बरस लम्बी सड़क, एक शहर की मौत, तीसरी औरत, यह कहानी नहीं, अक्षरों की छाया में, आदि (कहानी-संग्रह)।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajpal
  • Pages: 276
  • Binding: PaperBack
  • ISBN: 9789350643693
  • Category: Classics & Literary
  • Related Category: Classics
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