Synopsisप्रणय के संवेग मानव मन की प्रकृति है, सृष्टि में भला कौन होगा जिसे जीवन के ऐसे अन्तरंग पलों की अनुभूति नहीं हुई हो। कहते हैं, प्रणय को सृष्टि-निर्माता के इबादत का माध्यम माना गया है, बशर्ते वह ह्नदय के समग्र सात्विक भाव से किया गया हो। आलोच्य कृति ‘इन्द्रधनुष के तीन रंग’ में प्रणय के सम-सामयिक प्रसंगों को पिरोया गया है। कुमारी माला 'कुहू' की कहानी ‘मिलन’ के हीर व रांझणा हों चाहे, गोरधन सुथार ‘मनु’ की कहानी ‘साजिशें-इश्क़ में’ के पात्र महेश और नेहल हों और चाहे मीरा कुमार ‘मीरु’ की कहानी ‘आभासी हकीकत’ के सागर और समीरा, कहीं न कहीं प्रणय के विभिन्न उपादानों से गुजरकर संयुक्ति को प्राप्त होते हैं। लेखकत्रय ने अपनी-अपनी कहानियों को अपने-अपने अन्दाज़ में बुना है और घटनाओं को पात्रोचित परिवेश व परिस्थितियों में ढ़ाल कर कथ्य को अपने चरम तक पहुँचाया है। कहानियों का सुखान्त पाठकीय रोचकता को जोड़े रखता है।
Enjoying reading this book?
Binding: PaperBack
About the author
मीरा कुमार 'मीरु' और कुमारी माला 'कुहू' दोनों ही गृहणियाँ हैं और अपने घर परिवार की जिम्मेवारियों की जैसे एक सफल पारी निपटाकर अपने पहले प्यार लेखन की दुनिया में लौटी हैं ।
गोरधन सुथार 'मनु' पेशे से गणित के शिक्षक और दिल से रूमानी शायर और कथाकार हैं ।