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Hamari Sanskritik Ekta : Dinkar Granthmala
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Hamari Sanskritik Ekta : Dinkar Granthmala

by Ramdhari Singh Dinkar
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Creators
Publisher Lokbharti Prakashan
Synopsis 'हमारी सांस्कृतिक एकता' भाषणों और लेखों का संग्रह है । प्रायः सबका विषय भाषा और संस्कृति है । पुस्तक अपने विवेचन-विश्लेषण में दिनकर जी के गहन चिन्तन का द्योतक है । राष्ट्रकवि ने अपनी इस पुस्तक में भारत की विविधता में एकता पर विचार करते हुए भाषा और संस्कृति की भूमिका को वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक के सन्दर्भ में रेखांकित करने की जिस तार्किक दृष्टि का परिचय दिया है, वह एक मिसाल है । उन्होंने उन कारणों की भी तलाश करने की कोशिश की है जिनसे भारतीय एकता अपने भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, भाषिक आदि स्तरों पर प्रभावित होती रही है । 'संस्कृति है क्या?', 'यह देश एक है', 'भारतीय जनता की रचना', 'आर्य और आर्येतर संस्कृतियों का मिलन', 'बुद्ध से पहले का हिंदुत्व', 'हिंदुत्व से विद्रोह', 'वैदिक धर्म से विद्रोह', 'हिंदुत्व का खरल', 'प्राचीन भारत और बौद्धिक उत्कर्ष' पाठो के माध्यम से दिनकर जी ने भारतीय भाषा और संस्कृति पर एक सम्पूर्णता की खोज में अपना जो आख्यान प्रस्तुत किया है, वह पाठकों-अध्येताओं को समृद्ध करनेवाला है । एक अत्यंत महत्त्पूर्ण और संग्रहणीय पुस्तक ।

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Binding: HardBack
About the author रामधारी सिंह 'दिनकर' (23 सितंबर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रान्त के बेगुसराय जिले का सिमरिया घाट उनकी जन्मस्थली है। उन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है। उर्वशी को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार जबकि कुरुक्षेत्र को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ काव्यों में 74 वाँ स्थान दिया गया रचनाएँ:- अमृत मंथन, अर्धनारीश्वर, भग्न वीणा, चिंतन के आयाम, धुप छांह, दिनकर रचनावली (Vol . 1-4), द्वन्द्वगीत, हुंकार, कवि और कविता, कविता और सुध कविता, कविता की पुकार, काव्य की भूमिका, मिट्टी की ओर, नए शुभाषित, नील कुसुम, पंडित नेहरु और अन्य महापुरुष, पन्त, प्रसाद और मैथेलिशरण, परशुराम की प्रतीक्षा, , रश्मिरथी, रश्मिमाला, रसवन्ती, रेणुका, साहित्य और समाज, सामानांतर, स्म्र्नाजंली, संस्कृति भाषा और राष्ट्र, संस्कृति के चार अध्याय, सपनों का धुँआ, श्री अरविंद: मेरी द्रष्टि में , उजली आग, उर्वर्शी, व्यक्तिगत निबंध और डायरी |
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Lokbharti Prakashan
  • Pages: 176
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9789389243741
  • Category: Language & Essay
  • Related Category: Arts / Humanities
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