Welcome Back !To keep connected with uslogin with your personal info
Login
Sign-up
Login
Create Account
Submit
Enter OTP
Step 2
Prev
Home Literature Satire & Humour Ghoonghat Ke Pat Khol
Enjoying reading this book?
Ghoonghat Ke Pat Khol
by Ashwini Kumar Dube
4.8
4.8 out of 5
Creators
AuthorAshwini Kumar Dube
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisदो यमदूत मेरी बाँहें खींचते हुए, लगभग घसीटकर बीच दरबार में लाकर खड़ा कर देते हैं । मैं अपनी संकुचित निगाहें चारों ओर घुमाता हूँ । सभी उपस्थित जन फुसफुसाने लगे । वह रत्नजडित मुकुटधारी सज्जन मुझसे रौबदार आवाज में पूछता है- 'तुम्हारा नाम और पेशा ?'
'जी, मेरा नाम अश्विनी कुमार दुबे और पढ़ना-लिखना मेरा खानदानी पेशा है । आजकल धरती पर मेरे देश में यह पेशा सबसे निकृष्ट माना जाता है, इसलिए मेरे माँ-बाप ने अभावों में जीते हुए मुझे आधुनिक शिक्षा दिलवाकर एक अर्ध-इंजीनियर अर्थात ओवरसियर बनवा दिया, किंतु महाराज, खानदानी पेशा भला कही छूटता है! अत: जीवन की आखिरी साँस तक मेरा लिखना-पढ़ना जारी रहा । इस प्रकार न तो मैं सफल इंजीनियर बनकर खूब पैसा कमा पाया और न ही बुद्धिजीवी कहलाकर राज्यसभा का सदस्य हो पाया । बस, यूँ समझिए महाराज, हीरा जनम, माटी मोल गया ।'
दूसरे देवता ने गुर्राकर पूछा- 'किसी मंत्री, सांसद या उद्योगपति से कोई संबंध. .. ?'