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Home Literature Drama Ek Mamooli Adami
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Ek Mamooli Adami
by Ashok Lal
4.8
4.8 out of 5
Creators
AuthorAshok Lal
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsis‘एक मामूली आदमी’ का केन्द्रीय चरित्र म्यूनिसिपैलिटी का एक साधारण-सा हेडक्लर्क है। तीस साल पहले उसकी पत्नी का देहान्त हुआ था, तभी से जिन्दगी में उसकी दिलचस्पी भी जाती रही। बेटा-बहू भी दूर हो गए और काम-काज भी छूट गया। सेवानिवृत्त होने के कुछ ही महीने पहले उसे पता चलता है कि उसे कैंसर है और अब बहुत ज्यादा वक़्त उसके पास नहीं बचा है। तब मृत्यु के आमने-सामने खड़े होकर सहसा उसे अहसास होता है कि जीवन के ये सारे साल उसने बिना जिए ही तो गुजार दिए, मुर्दे की तरह ही तो वह जिया; और तब मरने से पहले वह जी कर देखने का फैसला करता है।
विषयवस्तु से संकेत मिलता है कि यह एक गुरु-गम्भीर नाटक है। एक अर्थ में है भी लेकिन, नाटककार ने कहानी को इस तरह से बुना है कि ज़्यादातर समय दर्शक हँसते रहते हैं। जीवन की वही विडम्बनाएँ जो हम सबके लिए चिन्ता और चिन्तन का विषय बनती हैं, देखते-देखते ज़िन्दगी को एक आनन्ददायी अनुभव में ढालने का कारण बन जाती हैं। नाटक हमारे सामाजिक, पारिवारिक रिश्तों, नौकरशाही और मानवीय मूल्यों के बारे में भी कुछ सवाल उठाता है, लेकिन सबसे ऊपर उसका जोर इस तथ्य पर है कि साधारणता भी एक सार्थक और उल्लासमय जीवन का साधन बन सकती है।
रंगकर्मियों, दर्शकों और आलोचकों द्वारा एक स्वर में प्रशंसित यह नाटक देश के अनेक शहरों में सफलतापूर्वक खेला जा चुका है। अनेक दर्शकों का कहना है कि नाटक देखकर उन्हें अपनी जिन्दगी के लिए एक नया नजरिया मिला।