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Home Literature Poetry Ek Ladka Milane Aata Hai
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Ek Ladka Milane Aata Hai
by Sanjay Kumar Kundan
4.5
4.5 out of 5
Creators
AuthorSanjay Kumar Kundan
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisसंजय कुमार ‘कुन्दन’ की शायरी किसी भी रूप में जब मेरे सामने आई तो मुझे यह समझने में बड़ी दुश्वारी हुई कि वे शायरी के हवाले से दिल पर बीतनेवाली वारदात का जिश्क्रश् कर रहे हैं या ये तमाम वारदातें तहरीर की शक्श्ल मंह संजय कुमार ‘कुन्दन’ को खुद लिख रही हैं। ये वो सच्ची शायरी है जिसे समझने के लिए आपको दिल के आँगन में उतरना नहीं पड़ता बल्कि दिल की पहली सतह पर ये अपनी जगह बनाती है जबकि अपनी शायरी के ऐब को छुपाने के लिए लोग तरह-तरह के रंगांे-रोग़न का इस्तेमाल करते हैं। चाहे ‘एक लड़का मिलने आता है...’, ‘उसको भी डर है’, ‘ख़याल कोई क़जशर्् है’ हो या ‘तस्वीर’ ऐसा लगता है जैसे उन्होंने शब्दों के सहारे उन तमाम कैफ़ियतों की तस्वीर पेश कर दी है जहाँ बड़े-बड़े चित्रकार नाकाम होने पर उसे ऐब्स्ट्रैक्ट आर्ट का नाम दे दिया करते हैं। और शायरी इतनी आसान, इतनी सहज लेकिन दिल को काट देनेवाली है कि इसकी चुभन को हम भुला नहीं पाते।
‘एक लड़का मिलने आता है...’ में ‘नींद की बदगुमानी’, ‘हाथों में लम्स की ठंडक’, ‘शाम की खुशबू’, ‘खिलखिलाहट का बचपन’, ‘रोशनी की धड़कन पर सियाही का ख़ौफ़नाक हमला’ और ‘लरज़ते काँपते क़दमों की आहट’ ही नहीं है बल्कि ‘महीन खद्दरों में कैष्द बड़े-बड़े तोंद के क़लम से लिखी कहानियों को जलाकर ख़ाक कर देने’ का अज़्म, ‘कारख़ाने के वहशी तगो-दौ में राख में दबी हुई आग की किरचियों को कुदेरने’ की मशक्श्क़त और ‘कितने शहरों, कितने बाग़ों, कितनी मिट्टी से होकर गुजश्रने वाले आवारा लम्हों’ का कर्ब भी शामिल है।
ऐसा महसूस होता है शायरी संजय कुमार ‘कुन्दन’ की महबूबा है जिसने ज़िन्दगी के इस लम्बे, वीरान ओर डगमगाते हुए कदमों पर उसे और उसके पढ़नेवालों को सहारा दिया है। मुस्तकिल तरक्श्क़ी की मंज़िलों को तय कर रही इस शायरी की नज्ऱ एक शेर:
‘न थक के बैठ कि तेरी उड़ान बाक़ी है
ज़मीन ख़त्म हुई, आस्मान बाक़ी है।’
- शानुर्रहमान