Synopsisअने फ्रांक की लिखी 'एक किशोरी की डायरी' विश्व की श्रेष्ठ कृतियों में गिनी जाती है। जर्मनी में जन्मी अने ने यह 'डायरी' 1942 से 1944 के दौरान लिखी। इसमें युद्ध के बाद जर्मन कब्जे के दौरान डच लोगों की पीड़ा का आँखों-देखा विवरण है। एक 15 वर्षीय किशोरी ने समाज की उथल-पुथल और अपने मन की कशमकश को बहुत ही ईमानदारी से व्यक्त किया है।
जन्मदिन के उपहार स्वरूप मिली एक डायरी को जिस समय उन्होंने अपना सच्चा मित्र बनाया था, उस समय खुद उन्होंने भी कल्पना नहीं की होगी कि एक दिन यह डायरी विश्व की महानतम कृतियों में शुमार होगी। डायरी की प्रविष्टियों में जहाँ स्कूल की बातें हैं, तो सहेलियों की ईर्ष्या, मनपसन्द खिलौनों की चाह, छुट्टियों में बिताए समय के साथ देश में तेजी से बदलते हालात का भी वर्णन है। कैसे जर्मनी में रहनेवाले यहूदियों की जिन्दगी एक सनक-भर से जहन्नुम हो गई थी, लेकिन जीने की उत्कट इच्छा आखिरी समय तक भी हार मानने को तैयार नहीं हुई। अने का बाल-मन कहीं न कहीं मानता है कि एक दिन सब सही हो जाएगा और वो वापस अपने परिवार के साथ एक सामान्य जीवन जी पाएगी।
एक किशोरी की यह मार्मिक डायरी सिर्फ उसी की न रहकर सीधे पाठक के दिल में घर कर जाती है।
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Binding: PaperBack
About the author
Anne Frank was born on 12 June 1929. She died while imprisoned at Bergen-Belsen, three months short of her sixteenth birthday. Otto H. Frank was the only member of his immediate household to survive the Holocaust. He died in 1980. Mirjam Pressler is a popular, prizewinning writer of books for young readers and a well-known translator. She lives in Germany. The translator, Susan Massotty, lives in Holland.