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Home Comics Comics Ek Aur Brahmand
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Ek Aur Brahmand
by Arun Maheshwari
4.1
4.1 out of 5
Creators
AuthorArun Maheshwari
PublisherRadhakrishna Prakashan
Synopsisकिसी भी सामाजिक परिघटना की तरह ही आर्थिक परिघटनाएँ भी देशकाल के साथ व्यक्ति और उसके उद्यम की यथार्थ कथाओं के जरिए मूर्त होती है। कोरो आँकडऋों का जंजाल तो अर्थनीतिशास्त्र के अपने स्वप्निल संसार की तरह है—उसकी आत्मलीनता का ऐसा दलदल जो उसे जीवन के ठोस यथार्थ से हमेशा के लिए काटकर रखने का काम करता है। यथार्थ से दूर सैद्धान्तिक प्रपंचों में लीन आर्थिक चिन्तन के लिए भी यह अवसर किसी आरामदेह शरणस्थल की तरह होता है।
यही वजह है कि कार्ल मार्क्स डूबते सामंतवाद और उदीयमान नए वर्ग के यथार्थवादी चितेरे फ्रांसीसी उपन्यासकार ही नहीं, बल्कि ऐसे पूर्व—कल्पित पात्रों का स्रष्टा भी मानते थे, जो उनके वक्त तक भ्रूणावस्था में थे और जो उनके बाद के काल में पूर्णतया विकसित हुए थे। एक संपूर्ण सामाजिक-आर्थिक परिघटना के चित्रकार।
प्रस्तुत पुस्तक उद्योगपति राधेश्याम अग्रवाल के जीवन पर केन्द्रित ऐसी ही एक रचना है जिसे मनोविज्ञान, संस्कृति, उद्यमशीलता और सर्वोपरि युगीन सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों के गहन और संश्लिष्ट अध्ययन से आज के भारत की एक संपूर्ण सामाजिक-आर्थिक परिघटना को मूर्त करने की अनूठी कोशिश कहा जा सकता है। बाल्जाक की श्रेष्ठ यथार्थवादी परंपरा की इस रचना को हिन्दी के व्यापक पाठक समाज की स्वीकृति मिलेगी इसमें कोई संदेह नहीं है। इसकी रोचक भाषा और इसके अन्तर में निहित ज्ञान और चिन्तन के अनेकानेक स्तर इस रचना को आज, और आने वाले लम्बे काल तक साहित्य की एक श्रेष्ठ कृति के रूप में जीवंत बनाए रखेंगे। साहित्य, कला, इतिहास, राजनीति, अर्थनीति, प्रबंध विज्ञान और मनोविज्ञान—इन सबमें रुचि रखने वाले पाठकों के लिए इस पुस्तक की उपादेयता से इंकार नहीं किया जा सकता।