Synopsisयह विश्व-साहित्य पर एकाग्र पुस्तक है। इसमें कोई दो दर्जन लेखकों पर निबंध, टिप्पणियाँ और अंत:प्रक्रियाएँ हैं। हिंदी के पाठकों में विश्व-साहित्य के प्रति गहरी अभिरुचि है, किंतु अकसर वो निर्णय नहीं कर पाते कि किसे पढ़ें और कहाँ से आरम्भ करें। दूसरी क़लम में ना केवल विश्व-साहित्य के गम्भीर अध्येताओं के लिए चर्चाओं और बहस के संदर्भ और प्रस्थान-बिंदु हैं, बल्कि उसमें रुचि रखने वाले युवा लेखकों और पाठकों के लिए भी दिशानिर्देश, अनुशंसाएँ और संस्तुतियाँ हैं। दस वर्षों की अनवरत-आसक्ति से तैयार हुई इस पुस्तक में मार्केज़ ,कोएट्ज़ी, काफ्का, बोर्ख़ेस, सेबल्ड, कल्वीनो, रोलां बार्थ, मोद्यानो, फ़ॉकनर, मिलान कुन्देरा, रिल्के,दोस्तोयेव्स्की, ज्याँ एमरी, पॉल ऑस्टर, नबोकफ़, जॉर्जेस पेरेक, रोबेर्तो बोलान्यो, नादिन गोर्डिमर, आर्थर रिम्बो, नायपॉल, यान स्काषेल, याक प्रेवेर, कज़ुओ इशिगुरो, बॉब डिलन, नीत्शे, ख़लील जिब्रान, लुडविग विटगेंष्टाइन आदि पर लेख, निबंध और टिप्पणियाँ हैं। विश्व-साहित्य पर एकाग्र ऐसी पुस्तक हिंदी में विरल है।
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Binding: Paperback
About the author
"13 अप्रैल 1982 को मध्यप्रदेश के झाबुआ में जन्म। शिक्षा-दीक्षा उज्जैन से। अँग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर। कविता की दो पुस्तकों ‘मैं बनूँगा गुलमोहर’ और ‘मलयगिरि का प्रेत’ सहित लोकप्रिय फ़िल्म-गीतों पर विवेचना की एक पुस्तक ‘माया का मालकौंस’ प्रकाशित। यह चौथी किताब। अँग्रेज़ी के लोकप्रिय उपन्यासकार चेतन भगत की पाँच पुस्तकों का अनुवाद भी किया है।
संप्रति दैनिक भास्कर समूह की पत्रिका अहा! ज़िंदगी के सहायक संपादक।
ईमेल- [email protected]"