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Home Literature Novel Digant Ki Oar
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Digant Ki Oar
by Bipin Bihari Mishra
4.9
4.9 out of 5
Creators
AuthorBipin Bihari Mishra
PublisherRadhakrishna Prakashan
Synopsisउम्र की ढलती साँझ में अपने गाँव में, अपने लोगों के बीच, अपने घर में रहने की इच्छा हरेक मनुष्य की होती है । ‘अपना घर’! कितना प्यारा शब्द है यह! लेकिन क्या सबको नसीब होता है! घर बनाने और बसाने में कितनी मुश्किलें आती हैं यह किसी भी मध्यवित्त व्यक्ति का सबसे तल्ख़ और संजीदा अनुभव होता है । दिगंत की ओर इन्हीं अनुभवों का प्रवाहपूर्ण भाषा में औपन्यासिक विस्तार है ।
यह जीवन और समाज की विडम्बनाओं और विद्रूपताओं पर तो प्रकाश डालता ही है, जीवन–सं/या में बुजुर्गों की उपेक्षाओं और उम्मीदों को भी रेखांकित करता है ।
उड़िया भाषा के इस महत्त्वपूर्ण उपन्यास का सुजाता शिवेन द्वारा किया सर्जनात्मक अनुवाद निश्चय ही हिन्दी पाठकों को रुचिकर और पठनीय लगेगा, ऐसा हमारा विश्वास है ।