logo
Home Literature Poetry Dhruv Tara Jal Mein
product-img
Dhruv Tara Jal Mein
Enjoying reading this book?

Dhruv Tara Jal Mein

by Vivek Nirala
4.7
4.7 out of 5

publisher
Creators
Author Vivek Nirala
Publisher Rajkamal Prakashan
Synopsis आज की हिन्दी कविता को जिन लोगों ने सम्भव किया है उनमें विवेक निराला सर्वाधिक महत्त्व के अधिकारी हैं। सर्वथा नई काव्यभूमि का अर्जन और भाषा की अनूठी भंगिमाओं का सृजन विवेक की कविताओं को एक पृथक् पहचान देते हैं। विवेक अपने काव्य-सन्धान में सुदूर महाभारत तक जाते हैं और साथ ही साथ बिल्कुल सामने की गली में चल रहे जीवन-व्यापार को भी उसी तन्मयता और कलागत सौष्ठव से चित्त में उतार लेते हैं। इसी प्रशस्त जीवन-चाप के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं 'जूठा-झूठा' जैसे मार्मिक चित्र। बहुत कम कवियों के पास ऐसा विराट कथ्य-वृत्त मिलता है। विवेक ने बड़े अपनपौ के साथ साधारण लोगों का चित्रण किया है। गहरी करुणा और प्रेम से उनके संघर्षों, जिजीविषा और जीवट को उद्घाटित किया है। विवेक की बहुत बड़ी खूबी है उनके स्वर का सन्तुलन। अत्यन्त भावाविष्ट क्षणों में भी उनका स्वर संयत और उद्वेगहीन रहता है। यानी तरंगें ताल में नहीं बल्कि पाठक के अन्तस में उठती हैं। ऐसा आत्म-नियंत्रण, वस्तुनिष्ठता और आसक्ति से भरी अनासक्ति दुर्लभ है। विवेक गहरे और वास्तविक अर्थों में राजनीतिक कवि हैं। कई बार उनकी कविताएँ सपाट और मुँहफट भी लग सकती हैं लेकिन यह भी कवि की रणनीति ही है। वह जो कुछ करते हैं वह सोची-समझी कला-नीति का परिणाम होता है। 'दिल्ली में एक दिन की राष्ट्रीय समस्या' एक अद्भुत राजनीतिक कविता है। इसका शिल्प भी बेजोड़ है। लेकिन शिल्प की दृष्टि से जो कविता स्वयं विवेक की पिछली सारी कविताओं को पीछे छोड़ देती है वह है 'नई वर्णमाला'। सम्भवत: ऐसी कविता आज तक लिखी ही नहीं गई। इसी से लगता है कि विवेक कविता की नई वर्णमाला रच रहे हैं और कवि को सभी काव्य-रूपों पर अधिकार प्राप्त है। चाहे वह गद्य कविता हो या छन्दोबद्ध, चाहे लघुकाय हो अथवा लम्बी। 'स्वर्णयुगों पर शोकगीत' और 'विरासत का सवालÓ काफी लम्बी कविताएँ हैं और यहाँ भी कवि ने उसी नियंत्रण और शैल्पिक तथा वास्तु-प्रवीणता का परिचय दिया है। ऐसा संग्रह कभी-कभी ही बन जाता है। आशा है कि हिन्दी के चारु, सहृदय पाठक इसको अंगीकार करेंगे। —अरुण कमल

Enjoying reading this book?
Binding: HardBack
About the author
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Pages: 127
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788126729708
  • Category: Poetry
  • Related Category: Literature
Share this book Twitter Facebook
Related articles
Related articles
Related Videos


Suggested Reads
Suggested Reads
Books from this publisher
Ujar Mein Sangrahalaya by Chandrakant Devtale
Mr. Kanoonwalla's Chamber by Apoorv Agarwal
Yaadon Ke Aaine Mein by Ozair E. Rahman
Thakur Ka Kuaan by Premchand
Kahni Upkhan by Kashinath Singh
Kahin Koi Darwaja by Ashok Vajpeyi
Books from this publisher
Related Books
Daya Nadi : Kaling Yuddha Ki Sakshi Gayatribala Panda
Nadi Ghar Krishna Kishore
Ullanghan Rajesh Joshi
Ullanghan Rajesh Joshi
Aalap Mein Girah Geet Chaturvedi
Nyoonatam Main Geet Chaturvedi
Related Books
Bookshelves
Stay Connected