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Home Literature Literature Devishankar Awasthi Rachnawali (1-4 Volume Set)
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Devishankar Awasthi Rachnawali (1-4 Volume Set)
by Edited by Rekha Awasthi
4.5
4.5 out of 5
Creators
AuthorEdited by Rekha Awasthi
PublisherVani Prakashan
Synopsisएक आलोचक के रूप में सक्रिय रहने के लिए देवीशंकर अवस्थी को यों बहुत कम वक़्त मिला था -बमुश्किल तमाम दस-पन्द्रह बरस। पर इस अरसे में उन्होंने समीक्षा की उपयोगिता, रचना और आलोचना के सम्बन्ध, समकालीनता का सन्दर्भ और आन्तरिक अध्ययन-विधि, आधुनिकता और भारतीयता, नयी कविता और बोधगम्यता, काव्यविषयों का अभाव, सामान्य पाठक और आलोचक, साहित्यिक लेखक का व्यवसाय, कविता और संगीत, विशेषीकरण, असहिष्णुता और सांस्कृतिक अन्तराल आदि विषयों पर निबन्ध लिखे। मुक्तिबोध, धर्मवीर भारती, भारत भूषण अग्रवाल, त्रिलोचन, नरेश मेहता, श्रीकान्त वर्मा के कविता संग्रहों, हजारी प्रसाद द्विवेदी, भगवती चरण वर्मा, अश्क, भैरवप्रसाद गुप्त, अमृतलाल नागर, राजेन्द्र यादव आदि के उपन्यासों की समीक्षा की और रेणु, रामकुमार, उषा प्रियंवदा, राजेन्द्र यादव, अमरकान्त, मोहन राकेश, कमलेश्वर, महेन्द्र भल्ला आदि की कुछ कहानियों पर सटीक टिप्पणियाँ कीं। उन्होंने हिन्दी में पुस्तक समीक्षा की एक वयस्क और ज़िम्मेदार विधा को पहली सुविचारित मान्यता देने का उपक्रम ‘विवेक के रंग’ संचयन सम्पादित कर और नयी कहानी की पहचान प्रतिष्ठापन, विकास और विश्लेषण तथा मूल्यांकन के लिए ‘नयी कहानी: सन्दर्भ और प्रकृति’ संचयन सम्पादित कर कहानी पर गम्भीर आलोचनात्मक विचार और विश्लेषण को एकत्र और संग्रथित किया। इस निरी सूची से ही स्पष्ट है कि उस युवा आलोचक के सरोकारों की दुनिया कितनी व्यापक थी। बल्कि इस मुकाम पर यह नोट करना भी जरूरी है कि नये साहित्य को लेकर जो सामान्य मतैक्य पिछले पाँचेक दशकों में विकसित हुआ है उसका सूत्रपात उसी समय हो चुका था और देवीशंकर अवस्थी उसके स्थापतियों में से एक हैं।