Synopsisस्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु तव देवि भेदा: । संपूर्ण सृष्टि की महिलाएँ, हे देवि, वस्तुत: तुम्हारे ही विभिन्न स्वरूप हैं । स्त्रियों के विभिन्न स्वरूपों की डोर पकड़कर आदिशक्ति के मूल स्वरूप को समझनाय और शक्ति के नाना रूपों के आईनो में आज से लेकर आर्षकालीन समाज की स्त्रियों की ढेरों लोकगाथाओं, महागाथाओं, आख्यानों को नए सिरे से पकड़कर व्याख्यायित कर पाना–यही इस विचित्र पुस्तक का मूल अभीष्ट है ।
यह न विशुद्ध कथापरक उपन्यास है, न कपोलकल्पित मिथकों की लीला और न ही एक वैज्ञानिक इतिहास । मानव–मन के गोपनीय और रहस्यमय अंश से लेकर महाकाव्यकारों की उदात्त कल्पना के बिंदुओं तक सभी यहाँ हैंय कभी जुड़ते, कभी छिटकते, कभी एक साथ जुड़ते–छिटकते हुए । जीवन की ही तरह देवी की ये गाथाएँ भी कभी कालातीत गहराइयाँ मापती हैं, तो कभी समकालीन इतिहास में कदमताल करती हैं ।
इन गाथाओं में वे सभी द्वैत मौजूद हैं, जिनसे एक औसत भारतीय का मन–संसार बनता है, अपने सभी उजले–स्याह राग–विराग समेत! अपने मानाभिमान, दर्प, आक्रोश, करुणा और ममत्व में यही वे बिंब हैं, जिनसे सृष्टि चलती है, जीवन चलता है । साहित्य उपजता है और लोकगाथाएँ रची जाती हैं ।
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Binding: HardBack
About the author
Born: February 26, 1946
मृणाल पाण्डे
मृणाल पाण्डे का जन्म 26 फरवरी, 1964 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में हुआ। प्रयाग विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. और गन्धर्व महाविद्यालय से ‘संगीत विशारद’ के अलावा आपने कॉरकोरन स्कूल ऑफ आर्ट, वाशिंगटन में चित्रकला एवं डिजाइन का विधिवत् अध्ययन किया।
कई वर्र्षों तक विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्यापन के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में आईं। साप्ताहिक हिन्दुस्तान, वामा तथा दैनिक हिन्दुस्तान के बतौर सम्पादक समय-समय पर कार्य किया। स्टार न्यूज़ और दूरदर्शन के लिए हिन्दी समाचार बुलेटिन का सम्पादन किया। तदुपरान्त प्रधान सम्पादक के रूप में दैनिक हिन्दुस्तान, कादम्बिनी एवं नन्दन से जुड़ीं। वर्ष 2010 से 2014 तक प्रसार भारती की चेयरमैन भी रहीं।
प्रकाशित पुस्तकें : सहेला रे, विरुद्ध, पटरंगपुर पुराण, देवी, हमका दियो परदेस, अपनी गवाही (उपन्यास); दरम्यान, शब्दवेधी, एक नीच ट्रैजिडी, एक स्त्री का विदागीत, यानी कि एक बात थी, बचुली चौकीदारिन की कढ़ी, चार दिन की जवानी तेरी (कहानी-संग्रह); ध्वनियों के आलोक में स्त्री (संगीत); मौजूदा हालात को देखते हुए, जो राम रचि राखा, आदमी जो मछुआरा नहीं था, चोर निकल के भागा, सम्पूर्ण नाटक और देवकीनन्दन खत्री के उपन्यास काजर की कोठरी का इसी नाम से नाट्य-रूपान्तरण (नाटक); स्त्री : देह की राजनीति से देश की राजनीति तक, स्त्री : लम्बा सफर (निबन्ध); बन्द गलियों के विरुद्ध (सम्पादन);
ओ उब्बीरी (स्वास्थ्य); मराठी की अमर कृति मांझा प्रवास : उन्नीसवीं सदी तथा अमृतलाल नागर की हिन्दी कृति गदर के फूल का अंग्रेजी में अनुवाद।
अंग्रेज़ी : द सब्जेक्ट इज वूमन (महिला-विषयक लेखों का संकलन), द डॉटर्स डॉटर, माइ ओन विटनेस (उपन्यास), देवी (उपन्यास-रिपोर्ताज), स्टेपिंग आउट : लाइफ एंड सेक्सुअलिटी इन रुरल इंडिया।