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Home Nonfiction Art & Culture Dalit Sahitya Anubhav, Sangharsh Evam Yatharth
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Dalit Sahitya Anubhav, Sangharsh Evam Yatharth
by Om Prakash Valimiki
4.4
4.4 out of 5
Creators
AuthorOm Prakash Valimiki
PublisherRadhakrishna Prakashan
Synopsisप्रस्तुत पुस्तक में दलित साहित्य की अन्तःचेतना को समझने की कोशिश की गई है जिसमे कवि-कहानीकार के रूप में दलित रचनाकार को अपनी रचना-प्रक्रिया के द्वारा दलित साहित्य की आन्तरिकता को तलाश करने के लिए कई स्तरों पर संघर्ष करना पड़ता है ! दलित लेखक किसी समूह, मसलन-किसिस जाति विशेष, संप्रदाय के खिलाफ नहीं है, व्यवस्था के विरुद्ध है ! दलितों की प्राथमिक आवश्यकता अपनी अस्मिता की तलाश है, जो हजारों साल के इतिहास में दबा दी गई है ! दलित साहित्य में जो आक्रोश दिखाई देता है, वह उर्जा का काम कर रहा है जिसकी उपस्थिति को गैर-दलित आलोचक नकारात्मकता की दृष्टि से देखते हैं, जबकि वह दलित साहित्य को गतिशीलता के साथ जिवंत भी बनाता है !
आज भी भारत में जाति-व्यवस्था का अमानवीय रूप अनेक प्रतिभाओं के विनाश का कारण बनता है ! लेकिन भारतीय मनीषा की महानता पर कोई फर्क नहीं पड़ता ! आज भी दलितों को पीने के पानी तक के लिए संघर्ष करना पड़ता है, दलित आत्मकथाएं इन सबको पूरी ईमानदारी से बेनकाब करती हैं !
दलित कहानियां समाज में रचे-बसे जातिवाद की भयावह स्थितियों से संघर्ष करने के साथ-साथ समाज में घृणा की जगह प्रेम की पक्षधरता दिखाती हैं !
भारतीय समाज-व्यवस्था की असमानता पर आधारित जीवन की विषमताओं, विसंगतियों के बीच से दलित कविता का जन्म हुआ है जो नकार, विद्रोह और संघर्ष की चेतना के साथ सामाजिक बदलाव के लिए प्रतिबद्ध है, वह जीवन-मूल्यों की पक्षधर है ! आलोचक उसके रूप और शिल्प-विधान को तलाश करते हुए उसकी आंतरिक उर्जा को नहीं देखते हैं !
दलित साहित्य-विमर्श में यदि यह पुस्तक कुछ जोड़ पाती है तो मुझे बेहद ख़ुशी होगी !