Synopsisबोलेगी ना बुलबुल अब' खुशवंत सिंह के उपन्यास 'आई शैल नॉट हियर द नाइटिंगल' का अनुवाद है। समय है 1942-43 जब भारतीय क्रांतिकारियों का 'भारत छोड़ो' आंदोलन अपनी चरम सीमा पर था। अंग्रेजों के प्रति वफ़ादार, फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट सरदार बूटा सिंह अपने परिवार के साथ अमृतसर में रहते हैं और खबर है कि जल्दी ही सम्मान-सूची मे उनका नाम आने वाला है। लेकिन बूटा सिंह इस बात से बिलकुल बेखबर हैं कि उनका बेटा क्रांतिकारियों के एक गिरोह का नेता बन गया है और अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करने में लगा है। बूटा सिंह को जब यह बात पता चलती है तो मैं अपने बेटे को बेदखल कर देते हैं। भगवान में आस्था रखने वाली बूटा सिंह की पत्नी सभराई अपने वाहेगुरु से इस मुश्किल घड़ी का सामना करने के लिए अरदास करती है। एक तरफ बेटे की ज़िन्दगी जीवन और मृत्यु के बीच झूल रही है तो दूसरी तरफ उसके पति की इज्ज़त का सवाल है। कैसे होगा इस कठिन घड़ी में बचने का उपाय.....
जाने-माने लेखक और पत्रकार खुशवंत सिंह का यह उपन्यास भावनाओं की उधेड़बुन को बखूबी दर्शाता है।
Enjoying reading this book?
Binding: HardBack
About the author
Khushwant Singh, who died in March 2014 at the age of 99, was India?s best-known writer. His bestselling books include A History of the Sikhs, Train to Pakistan, Delhi: A Novel, Ranjit Singh: Maharaja of the Punjab and an autobiography, Truth, Love and a Little Malice.