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Home Literature Poetry Bin Jiya Jeevan
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Bin Jiya Jeevan
by Kuldeep Kumar
4.1
4.1 out of 5
Creators
AuthorKuldeep Kumar
PublisherVani Prakashan
Synopsis"कुलदीप कुमार के संग्रह बिन जिया जीवन की एक बड़ी खूबी यही है कि इसमें, इसकी कविता में, रोजमर्रा के जीवन-अनुभवों को, सम्बन्धों को शिद्दत से उकेरा गया है।...याद नहीं पड़ता कि किसी कवि ने हिन्दी में 'मिलने-बिछुड़ने' को इतनी तरह के जीवन-प्रसंगों में व्यक्त किया हो।... ये 'मिलने-बिछुड़ने' की अपूर्व कविताएँ तो हैं ही पर इनकी रेंज बहुत बड़ी है।...इनमें एक ओर 'सामयिक' जीवन है। ‘अपने समय' का, उसकी चिन्ताओं का, गहरा बोध भी है। साथ ही, ऐतिहासिक-पौराणिक पात्रों के प्रसंग से भी मानवीय सम्बन्धों और मर्मों की जाँच-परख है एक कवि की तरह।" -प्रयाग शुक्ल, आउटलुक हिन्दी / “एक अच्छा कवि कभी अपनी वेध्यता (वलनरेबिलिटी) को छुपाता नहीं, उस पर शर्मिन्दा नहीं होता, बल्कि उसे अपनी जगह लेने देता है। कुलदीप युवावस्था से लेकर अब तक की कविताओं में कहीं भी व्यक्ति की इमोशनल इनसिक्योरिटी और उसकी ज़िन्दगी में उसकी भूमिका को बढ़ाकर या घटाकर पेश नहीं करते। उनके काव्य-विवेक की यही खूबी है।" -असद जैदी, समयान्तर