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Home Nonfiction Art & Culture Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha(Bangla Bhasha)
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Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha(Bangla Bhasha)
by Dr.Yogendra Pratap Singh
4.8
4.8 out of 5
Creators
AuthorDr.Yogendra Pratap Singh
PublisherVani Prakashan
EditorDr.Harishchandra Mishra
Synopsis भारतीय संस्कृति के विभाजन को केन्द्र में रखते हुए भारतीय भाषाओं एवं राज्यों को पृथक्-पृथक् खंडों में बाँटने वाले विदेशी राजतन्त्रों के कारण भारत बराबर टूटते हुए भी, अपने सांस्कृतिक सन्दर्भों के कारण, अब भी एक सूत्र में बँधा हुआ है। एकता के सूत्र में बाँधने वाले सन्दर्भों में राम, कृष्ण, शिव आदि के सन्दर्भ अक्षय हैं। भारतीय संस्कृति अपने आदिकाल से ही राममयी लोकमयता की पारस्परिक उदारता से जुड़ी सम्पूर्ण देश, उसके विविध प्रदेशों एवं उनकी लोक व्यवहार की भाषाओं में लोकाचरण एवं सम्बद्ध क्रियाकलापों से अनिवार्यतः हजारों-हजारों वर्षों से एकमेव रही है। अवधी भाषा में यद्यपि रामकथा का बड़ा वैविध्य है, फिर भी, परिमाण और स्तर की दृष्टि से सर्वाधिक समृद्ध काव्यधारा है-रामकाव्य की। अधावधि अवधी में शताधिक रामकाव्य रचे गये हैं। इस रामकाव्य परम्परा में रामकथा से सम्बन्धित समस्त पात्रों स्थानों, घटनाओं और उनके रचनाकारों का समावेश किया जाना अभीष्ट है।