About the author
हिन्दी के पहले सामुदायिक स्त्रीवादी ब्लॉग ‘चोखेर बाली’ की शुरुआत से लेकर कविता-संकलन ‘अनंतिम मौन के बीच’ तक स्त्रीवाद की अपनी गहरी समझ, सरोकारों और भाषा के अनूठे प्रयोगों से पहचान बनानेवाली सुजाता पिछले एक दशक से दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रही हैं। सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित 'स्त्री निर्मिति' व राजकमल प्रकाशन से प्रकशित उपन्यास 'एक बटा दो' ने सुजाता को इस दौर की स्त्री विमर्श की प्रमुख लेखिकाओं में स्थापित किया। हाल ही में राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित 'आलोचना का स्त्री पक्ष' सुजाता को अस्मिता-विमर्श की संश्लिष्ट धारा की प्रतिनिधि के रूप में सामने लाती है।