logo
Home Literature Short Stories Adhkhaya Fal
product-img
Adhkhaya Fal
Enjoying reading this book?

Adhkhaya Fal

by Anand Harshul
4.9
4.9 out of 5

publisher
Creators
Author Anand Harshul
Publisher Rajkamal Prakashan
Synopsis अधखाया फल आनंद हर्षुल का तीसरा कहानी-संग्रह है। पिछले दोनों संग्रहों की कहानियों के अनूठे शिल्प और संवेदनशील भाषा की ख़ासी चर्चा हुई थी। शिल्प-सजगता और भाषा का अपूर्व सौष्ठव तीसरे संग्रह की इन कहानियों में भी मौजूद है। यथार्थ के साथ रोमांस के जिस सर्जनात्मक दुस्साहस के लिए आनंद हर्षुल जाने जाते हैं, वह यहाँ भी उनके विलक्षण कथा-गद्य में प्रकट हुआ है। यह ऐसा गद्य है जो इन दिनों प्रचलित कथात्मक गद्य की स्थूल रूढ़ियों - विवरणात्मकता, वृत्तांत के निपट एकरैखिक विन्यास, यथार्थ की सपाट समाजशास्त्रीयता आदि - के बरअक़्स किंचित स्वैरमूलक, बहुस्तरीय और स्मृतिबहुल रूप ग्रहण करता है। इस रूप में यह कहानी के जाने-पहचाने गद्य का प्रतिलोम जान पड़ता है। आनन्द हर्षुल कहानी की अन्तर्वस्तु को यथार्थवाद के वाचाल मुहावरों में पकड़ने की लोकप्रिय प्रविधि से परहेज करते हैं। वे यथार्थ की अन्तर्ध्वनियों को एकाग्रचित्त होकर सुनते हैं और उसकी आन्तरिक विडम्बनाओं पर धीरे-से उँगली रखते हैं। ज़ाहिर है, वे कहीं पहुँचने की आपाधापी में नहीं होते; कहानी उनके तईं यथार्थ के पेंच को आहिस्ता-आहिस्ता खोलने की - सतर्कता और धीरज की, कला है। कथा के मर्मस्थल तक आनंद दबे पाँव पहुँचते हैं और अनायास उसे उद्घाटित कर देते हैं। उनकी कहानियाँ सनसनी में नहीं, संवेदना में जीती हैं। प्रेम इस संग्रह की ज़्यादातर कहानियों की केन्द्रीय थीम है। यहाँ प्रेम के अनुभव के अलग-अलग रूप-रंग, छवियाँ और आस्वाद हैं - रोमानी उमंग, औत्सुक्य, आन्तरिक उत्ताप से लेकर वंचना और दुःखबोध तक। आनंद ने बहुत मार्मिक ढंग से इन्हें रचा है। उन्होंने अभाव और भूख के मर्म को भी वैसी ही आन्तरिक विकलता के साथ पकड़ा है, जिस तरह प्रेम के मर्म को। इन दोनों तरह के अनुभवों को संवेदनात्मक रूप से मुखर बनाने और प्रभावी ढंग से उजागर करने के लिए वे उनके पार्श्व में निश्छल-निर्बोध मनुष्यता की छवियों का सृजन करते हैं। ग़ौर करें कि आनंद अपने कथा-चरित्रों के कार्यकलाप का चित्रण करते हुए उनके अन्तर्मन में प्रवेश करते हैं और बाहरी दुनिया की घटनात्मकता को उनके अन्तर्जगत की हलचलों से जोड़ते हैं। यहाँ पात्र कथाकार की कठपुतलियाँ नहीं हैं; वे अपने आसपास की निष्ठुर वास्तविकता - अभाव, दुख और यंत्रणा - को भीतर तक महसूस करते स्पंदित मनुष्य हैं। उनके जीवन-यथार्थ को अनुभूति के सूक्ष्म स्तरों पर ग्रहण करने की संवेदनशीलता के चलते भी इस संग्रह की कहानियाँ उल्लेखनीय सिद्ध होंगी।

Enjoying reading this book?
Binding: HardBack
About the author
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Pages: 115
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788126718184
  • Category: Short Stories
  • Related Category: Novella
Share this book Twitter Facebook
Related articles
Related articles
Related Videos


Suggested Reads
Suggested Reads
Books from this publisher
Ek Koi Dooshra by Usha priyamvada
Kajal Lagana Bhoolna by Vyomesh Shukla
Surkh Aur Syah by Stendhal
Aalsi Murga by Sorit
Ghav Karen Gambhir by Sharad Joshi
Aadhunik Bhartiya Chintan by Vishwanath Narvane
Books from this publisher
Related Books
Sampoorna Kahaniyan : Akhilesh Akhilesh
Sampoorna Kahaniyan : Akhilesh Akhilesh
Dilli Mein Neend Uma Shankar Choudhary
Pratinidhi Kahaniyan : Swayam Prakash Swayam Prakash
Pratinidhi Kahaniyan : Chandrakanta Chandrakanta
Do Bahanen Charan Singh Pathik
Related Books
Bookshelves
Stay Connected